लेखनी उठाने के पूर्व | Lekhani Uthane Ke Purv
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
237
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ट [ लेखनी उठाने के पूव
नहीं कि केवल (सनसनीः की इच्छा से जहां चाहा इस
चिह का प्रथोग कर दिया | यदि यह चिह्न सोच-विचार
कर काम में नहीं लाया जायगा तो आप की रचना को यह
उपहास्य बना देगा और उसकी गम्भीरता ओर महत्व को
दलका कर देगा ।
दूसरा चिह्न प्रश्न-सृचक ( १) है, जिसके विषय में
भी सावधान रहना चाहिए। यह देख लेना चाहिए कि
हमारे वाक्य का तात्पय प्रश्न से है वा नहीं | यदि है, तो
इस चिह्न का प्रयोग उचित है। केवल सम्बोधन करते
सभय इसका प्रयोग व्यर्थ है । ऐसे अवसर पर विस्मय सूचक-
चिह्न (!) का प्रयोग होना चाहिए। इसके अतिरिक्त
हिन्दी में 'डैश! ( -- ) का भी प्रयोग अधिक भात्रा में
होने लगा है। 'डैश? या 'लोप-चिद्ट? वहाँ काम मं आता
है जहाँ विचारधारा में कोई रुकावथ वा गतिरोध अथवा
परिवर्तन उपस्थित दह्वांता है। अरहाँ तक हो लोप-चिह्न
( -- ) का प्रयोग कम करना चाहिए | अधिक प्रयोग से
वाक्य के संगठन में शिथिलता आ जाती है ।
अवतरण-चिह्ों ( “ ? ) का भी प्रयोग उचित रूप
से न होने पर रचना की सुन्दरता जाती रहती है । इसी
प्रकार साधारण रूप से विराम-चिह्नों के प्रयोग का ःच्छा
शान लेखक को पूव॑ ही प्राप्त कर लेना उचित है। संक्षेप
में, लेखनी उठाने के पूब, लेखक को लेखन-कला के
ये साधारण नियम जान लेना परम आवश्यक है । इसे
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