रघुवीर सहाय की काव्य चेतना और रचना शिल्प | Raghuveer Sahaya Ki Kavya Chetna Aur Rachna Shilp
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17 MB
कुल पष्ठ :
303
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सन् 1951 ६0 मे दूसरा-सप्तक” प्रकाशित हुआ। अज्ञेय जी
सपादन एव सकलनकर्ता थे। भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन काशी द्रा यह भाग भी
प्रकाशित हुआ।
भवानी प्रसाद मिश्र, शकुन्त माथुर, हरिनारायण व्यास, शमशेर बहादुर सिह,
नरेश मेहता, रघुवीर सहाय, धर्मवीर भारती आदि सात कवियो का इस अक
मे उल्लेखनीय योगदान रहा । यह देखा गया कि तार-सप्तक के प्रकाशन से
अनेकानेक विवाद उत्पन्न हुए , जिसके कारण दूसरा सप्तक की भूमिका मे
अज्ञेय ने बहुत सारे विवादो कां निपटारा करने का प्रयास करिया।
दूसरा-सप्तक ' के छठे प्रमुख कवि के रूप मै रघुवीर सहाय आते हे।
दूसरा-सप्तक के प्रकाशन के साथ ही रघुवीर सहाय की बहुत सारी कविताए
प्रकाशित हुई।
अपनी काव्य यात्रा मे इन्होने बच्चन ओर माथुर को याद किया है। अज्ञेय ओर
शमशेः बहादुर सिह की रचनाभो से भी सहाय ने बहुत कुछ सीखा है। वे सर्वत्र
सामाजिक यथार्थ तक पहुँचने केलिएं वेज्ञानिक तरीका अपनाते हे। यह उनकी
मार्क्सवादी चेतना हे।
की चूत
वे शमशेर बहादुर सिह के इस वक्तव्य को स्वीकार करते है कि- जिदगी में तीन चीजो/ बडी
जरूरत है। आक्सीजन, मावसवाद ओर अपनी वह शभधन जो हम जनता मे देखते
हे ---1
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1 दूसरा सप्तक की भूमिका स0 अजेय 1951 भातीय ज्ञानपीठ काशी,
रघुवीर सहाय का वक्तव्य , प0 138
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