नीरजा | Neerja

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Neerja by कृष्णदास - Krishandas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तुरें नाँध पाती सपने में ! तो चिरजीवन-प्यास घुका लेती उस क्षण अपने में ! पावस-घन सी उमड़ विखरती; शरद निशा सी नीरख घिरती; थो लेती जग का चिषाद ढुलते लघ ऑसू-कण अपने में । तुम्हे बाँध पाती सपने में !




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