महिला - शासन | Mahilaa Shaasan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
180
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about चिरंजीलाल पाराशर - Chiranjilal Parashar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)महिला-शासन ३
पिटाई पसन्द करे । গল: অই কামলা শী समाप्त हुआ। न बन्दूकों की'
जहूरत न कारतूसों की ।
बन्दूकों और कारतूसों की बचत के अतिरिक्त प्रकाशन विभाग में भी
काफी बचत हो जाने की आशा है । ब्राडकास्टिंग विभाग पर तो ताला
ही लटका दिया जायेगा ।
यह एक सचाई है कि औरतों के पेट में प्रत्येक बात इसी तरह
फुदकती रहती है, जसे पानी में मेडक । बस जो भी कोई नई सरकारी
धोषणा हुई वह या तो पोस्टरों पर छपवाकरर जनता तक पहुँचा दी या
दो चार कुटनी-किस्म की औरतों को बतला दीं। वह उसे इसी तरह से
प्रसारित कर देंगी जेसे आलइंडिया रेडियो कभी-कभी कवि सम्मेलनों के
द्वारा बड़े उत्साह के साथ अ्ंटशंट कविताओं को ।
हाँ, एक थोड़ीसी दिक्कत है श्लौर वह है छुट्टियों की श्रधिकता की ।
साथ ही एक लाभ भी है कि यह एक साथ छुट्टी न लेकर अपनी प्राकृतिक
आ्रावश्यकता के अनुसार ही लेती रहा करेंगी और काम में परेशानी नहीं
ग्रैगी ।
। रहा प्रश्न श्रृष्टि-निर्माण के समय का, उसके लिये छुट्री के दिनों में
ओ्ओवरटाईम से भी काम लिया जा सकता है। बाद में बच्चे की पर-
वरिश का भार बाप पर रहेगा ही ।
सब नेताओं ने भगवान की इस नई योजना को एक स्वर से सिर
हिला कर स्वीकार कर लिया श्रौर उनके स्वीकार करते ही यमदूृतों के
दस्ते उन्हे उनके बिस्तरों पर उठा-उठा कर फिर डाल गये।
दूसरे दिन सरकार बदल गई | प्राचीन मंत्रियों ने श्रपनी जगह ग्रपनी
बीबियों को भेज दिया और उनका ही अनुकरण अन्य सरकारी पदाधि-
कारियों तथा कमंचारियों ने किया । जो लोग विधुर थे, उन्होंने भ्रपनी
या तो प्रेमिकाओं को भेजा या शादी का सर्टिफिकेट पेश करने के लिये
१-१, २-२ मास की अ्रवधि मांग ली। कुछ ब्रह्मचारी ऐसे भी थे,
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