महिला - शासन | Mahilaa Shaasan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Mahilaa Shaasan by चिरंजीलाल पाराशर - Chiranjilal Parashar

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about चिरंजीलाल पाराशर - Chiranjilal Parashar

Add Infomation AboutChiranjilal Parashar

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
महिला-शासन ३ पिटाई पसन्द करे । গল: অই কামলা শী समाप्त हुआ। न बन्दूकों की' जहूरत न कारतूसों की । बन्दूकों और कारतूसों की बचत के अतिरिक्त प्रकाशन विभाग में भी काफी बचत हो जाने की आशा है । ब्राडकास्टिंग विभाग पर तो ताला ही लटका दिया जायेगा । यह एक सचाई है कि औरतों के पेट में प्रत्येक बात इसी तरह फुदकती रहती है, जसे पानी में मेडक । बस जो भी कोई नई सरकारी धोषणा हुई वह या तो पोस्टरों पर छपवाकरर जनता तक पहुँचा दी या दो चार कुटनी-किस्म की औरतों को बतला दीं। वह उसे इसी तरह से प्रसारित कर देंगी जेसे आलइंडिया रेडियो कभी-कभी कवि सम्मेलनों के द्वारा बड़े उत्साह के साथ अ्ंटशंट कविताओं को । हाँ, एक थोड़ीसी दिक्कत है श्लौर वह है छुट्टियों की श्रधिकता की । साथ ही एक लाभ भी है कि यह एक साथ छुट्टी न लेकर अपनी प्राकृतिक आ्रावश्यकता के अनुसार ही लेती रहा करेंगी और काम में परेशानी नहीं ग्रैगी । । रहा प्रश्न श्रृष्टि-निर्माण के समय का, उसके लिये छुट्री के दिनों में ओ्ओवरटाईम से भी काम लिया जा सकता है। बाद में बच्चे की पर- वरिश का भार बाप पर रहेगा ही । सब नेताओं ने भगवान की इस नई योजना को एक स्वर से सिर हिला कर स्वीकार कर लिया श्रौर उनके स्वीकार करते ही यमदूृतों के दस्ते उन्हे उनके बिस्तरों पर उठा-उठा कर फिर डाल गये। दूसरे दिन सरकार बदल गई | प्राचीन मंत्रियों ने श्रपनी जगह ग्रपनी बीबियों को भेज दिया और उनका ही अनुकरण अन्य सरकारी पदाधि- कारियों तथा कमंचारियों ने किया । जो लोग विधुर थे, उन्होंने भ्रपनी या तो प्रेमिकाओं को भेजा या शादी का सर्टिफिकेट पेश करने के लिये १-१, २-२ मास की अ्रवधि मांग ली। कुछ ब्रह्मचारी ऐसे भी थे,




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now