व्रण बंधन | Vran Bandhan

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Vran Bandhan  by शिव शरण वर्मा - Shiv Sharan Varma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( € ) भाषा में भी शस्त्र चिकित्सा पर कोद सवे प्रसिद्ध ग्रन्थ नहीं मिलते अ्रतः कहना पड़ता है कि आयुवेद में शल्य चिकित्सा को अभाव होने से यूनानी शास्त्र भी इस त्रुटि से न बच सके | (\. हिन्दू पंडितौ की तंगदिली भी इसका पक कारण सममा जाता है | जो गुण किसी व्यक्ति अथवा विद्वान में मौजूद था। অভ उसके हृदय पर से बाहर न आ सक्रा । मन्यु के साय उस का भी श्री गणेश हो गया । मस्तिष्क कं मस्नी कः चोला धारण करते ही उक्त विज्ञान आने वाली सन्तान के लिए स्वप्न मात्र सा बन गया | उनके संकुचित हृदयों में गुण को गुप्त रखने का भूत बसता था । हा | यह दोष श्रव भी चिद्यमानहे) वह दिवस कव श्रावेगा करि जब हम मं उदारता के भवि पैदा होगे इसी दोष को दर करने के लिए ऋब भारतीय नेताश्रां की टद्षटि इस ओर हुई । कालिज स्थापित किये जा रहे दें, जहां कि प्राचीन तथा पाश्यात्य क्षिया को तुलनात्मक दृष्टि से बढ़ाया जाता है ताकि विद्यार्थियों में रीसच का माव पैदा हो शरोर श्रायुवंद्‌ की कठिन से कठिन समस्या को सरल से सरल विधि द्वारा सिद्ध किया जा सके। वा प्रत्येक बात को जनता के सम्मुख प्रत्यक्ष रूप से रकखा जा सके । आयुवेद के गौरव को स्थिर रखते हुए गवनेमेट को वाध्य करिया जावे करि वह श्रपने प्रचलित विद्यालय तथा विश्व-विद्यालयौ मे श्रायुवंद को वही




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