हिंदी काव्य पर आँग्ल प्रभाव | Hindi Kavy Par Angal Prabhaw

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Hindi Kavy Par Angal Prabhaw by रवीन्द्र सहाय वर्मा - Ravindra Sahay Verma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(५) पुस्तक 'श्राग्ल साहित्य का उदू' साहित्य पर प्रभावः ( 1९४७ [फिप्ला८९ 96100517817 17692860000 ঢিঃনএ [769106025 ) में किया है। यह कार्य मृलतः एक निवन्ध रूप में था जो उन्‌ १६२४ में लन्दन विश्व- विद्यालप द्वारा पी० एच० डी० की उगधि के लिए स्वीकृत हुआ था। उस अथ के प्रकाशन के उपरात बगला साहित्य पर पाश्चात्य प्रभाव सवधी विपरय पर अनेऊ ग्रथ प्रकाशित किय्रे गए | इस विशेष क्षेत्र में प्रियारजन सेन का कार प्रशसनीय है| उनके निवध 'बगला साहित्य पर पाश्चात्य प्रभाव! (০56০০ 700109009 20 30008] 1,1697607) বা 'নজা दिव्य का पाश्चात्य सस्क्ृति के प्रभाव में उत्थान श्रोर विकास! (उक्त &00 19810100906 ০1 138006]7 109706016 00706] 61)9 10010900002 ০9০77 0016179 ) क्रमशः सन्‌ १६२ म प्रेमचन्द रायचन्द छात्रवृत्ति तथा सन्‌ १६२६ में छुबिली रिसर्च पारितोपिक के लिव स्वीकृत करिए गए । ये दोनों निम्नध सन्‌ १६३२ में कलकत्ता विश्वविद्या- लव से चगला नाहित्य में पाश्चात्य प्रमाब ( एए९३४(७१ [001007309 गा फैशा880)॥ 41/07/४४76) के नाम से सम्मिलित रूप से प्रकाशित हुए 1 चना उपन्य्रान पर पाण्चात्व प्रभाव के विपय पर रन्द्र विद्वान लेक का एक शथक्‌ लेख 'जर्नल ग्राफ टिगरमेट थ्राफ लेदरस,? वाल्यूम २२, कतत्ता विश्व- विद्यालय में प्रकाशित हुया। फिर बंगला काव्य पर पाश्चात्य प्रभाव के सम्बन्ध में एच० एम० दास गुत्ता का আগ সীল इन देस्वन इन्फलुएंस श्रान नाइनटीन्य सेन्हुरी बंगाली पोटट्रीर पनू १६३४ লন च्चक्रे ने प्रकाशित উমা | सके নিবি তন নি पर प्रीर भी महत्वपूर्ण लेख 'बुज्ैटिन ग्राफ খু श्राफ श्रोग्वन्छन स्यीज ललन्दन तथा 'केलकटा रिव्यू) में समय समय पर ग्रकाशित होते गहे । হল दिशा में बद्यपि चगचा साहित्य पर अच्छा कार्य हुय्रा जन्तु हिन्दी साहित्य पर छुछ समय तक सतोपचनक कार्य न हों मफा | हिन्दी साहित्य पर पाश्चात्य प्रभाव के विषय पर स्वधधम कार्य स्रमी हाल में डा० विश्वमाय प्रगद सिश्र ने प्रयाग विग्व॒विद्याचय द्वारा डो« फिल० उपाये के जिये स्वीकृत अपने अ्प्रकाशित निबंध हिन्दी साहित्य और भाषा पर श्राग्त पभावं (2८७० १1२०) €187001731) 170006700 0 নুয00) 05000050270 [700ট079 ) में क्या | इत्के उपसन्त दाह धर्म किशोर लाल का श्रप्रकाशित निबंध हिन्दी नाटक पर पराश्चात्य नाटक का प्रभाव ( 71९ 100185006 0€ ০৪0 [যা 00. নু) 105102 ) সঙান




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