श्री जैन सिद्धान्त प्रश्नोत्तर माला भाग - 2 | Shri Jain Siddhant Prashnottar Mala Bhag - 2
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
148
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१६
एपादान श्मरण + +
रुपादान धपादेष १५३
इपर ग्ड
शपादान कारण से दी कार्य मानने में क्या दोष ! ४०१
इपादान निमित्त कारणों के बूसरे कया नाम हैं ! श्र
हपादोन निमित्त की चर्व मे पर, निमिच प्यबहार दिव 1
भौर मुव इमादाम फे भाजय दे ही ममं होदा है, इसके
झाशापार षण्
(प) 1
एक थीब दूसरे का पात करता ই? ११५
एक दरव्व 5 धा द्रस्मकी पर्याय ছা জনা? | १६१
एक समय में कितने कारक !† १४७
(क)
क्या कसं ढे धवम भनुसार बीमं विकार करता हैं ! ३५१
कतीँ ३३७
कम ইন
कर्म दपानुसार छीष को शग्यवि हैं! का ३०१-१३६
कर्मद লাগ বু हो व জীপ पुरुपानं कर सकता है ! ३६०
कमेंकी बहअबरी _ ४७.
क्षं किसके समान होता है ! ४२॥
ऋय दते शतार! १७४६, १६८; ४२६
कामे में मिमिशका कार्य भेज किसना ! कि -
জনে (জ্ঞাত) ३४४६
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