श्री जैन सिद्धान्त प्रश्नोत्तर माला भाग - 2 | Shri Jain Siddhant Prashnottar Mala Bhag - 2

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Shri Jain Siddhant Prashnottar Mala Bhag - 2 by मगनलाल जैन - Maganlal Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१६ एपादान श्मरण + + रुपादान धपादेष १५३ इपर ग्ड शपादान कारण से दी कार्य मानने में क्या दोष ! ४०१ इपादान निमित्त कारणों के बूसरे कया नाम हैं ! श्र हपादोन निमित्त की चर्व मे पर, निमिच प्यबहार दिव 1 भौर मुव इमादाम फे भाजय दे ही ममं होदा है, इसके झाशापार षण्‌ (प) 1 एक थीब दूसरे का पात करता ই? ११५ एक दरव्व 5 धा द्रस्मकी पर्याय ছা জনা? | १६१ एक समय में कितने कारक !† १४७ (क) क्या कसं ढे धवम भनुसार बीमं विकार करता हैं ! ३५१ कतीँ ३३७ कम ইন कर्म दपानुसार छीष को शग्यवि हैं! का ३०१-१३६ कर्मद লাগ বু हो व জীপ पुरुपानं कर सकता है ! ३६० कमेंकी बहअबरी _ ४७. क्षं किसके समान होता है ! ४२॥ ऋय दते शतार! १७४६, १६८; ४२६ कामे में मिमिशका कार्य भेज किसना ! कि - জনে (জ্ঞাত) ३४४६




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