विमुग्ध यायावर और दूसरी कहानियां | Vimugdh Yayavar Aur Dusri Kahaniya

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Vimugdh Yayavar Aur Dusri Kahaniya by रामनाथ शाश्त्री - Ramnath shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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युख के ग्रधिकार की रक्षा करने को वाध्य होना पड़ता है - वह अपनी भावनाओं को अवाध रीति से प्रदर्शित करती है और अ्रन्तत व्यवसायी जीवन-पद्धति के उस “अधकारपूर्ण शाज्य” से रूघयें कर बेठदी है। पर वटे स्वय दो उस राज्य फे प्रभिन्नं अपके रूपमे पाती टै! अन्तत, श्रषने प्रिय भगर विश्वासधाती और घनलोोलूप कारिन्दे सेगेई दवाय उत्तेजित छि जाने पर बह अपराध करती है और विनप्ट हो जाती है। इस कहानी से उत्पन्न मनोदशा से वही विचार उठता है कि वहे जीवन कितना अप्राकृतिक है जिसमें मनुष्य की उत्हृष्ट कामनाए विक्षत हो जाती हैं और जीवनोल्‍्लास से परिपूर्ण लोग विनष्ट हो जाते है। ^ विमुग्ध यायावर ” लधु-उपन्यास एकं दूसरे ठय के ससार को उजागर करता दै, जहा बास्तदिक्र धटनाए भी परी-कया सी लगती है। उपन्यास भे॑ भूदास ईवान सेवे्यानिच फ्लागिन के विस्मयपूर्ण जोबत और उसकी याद्राओ का वणन है! इस वाध्तविक प्रतीकवादी नायक में बडे सही रूप मे उत लोगो कौ भ्रसली विशेपताभ्रो को प्रतिविम्बिते किया गया है, जो तत्कालीन रूस में सचमुच ही रहा करते थे। लेस्कोद सजीवता से श्रपने कथानायक কী वालयुलभ श्रात्मा छी दुर्देमनीय शक्तित, उसकी अनश्वर जीवनक्षमता (“पूरे जीवन घर मैं भूत्यु के समीप रहां था पर कभी विनुप्ट न हो सका”), उसकी दयालुता भौर ग्रत्य व्यक्तितयों के दुर्भाग्य के प्रति उसकी करण भावना को प्रदर्शित करते हैँ। वह्‌ कत्तंब्य-भावना से प्रेरित होकर कार्य करता है -प्राय भ्रन्तःरफूर्ति के कारण और कभी-कभी भावुकता के ्रावेगो के फलस्वरूप। फिर भी उसके समस्त कार्य, चाहे ग्राश्यंजनक हो, उसमे निहित छदारवृत्ति से उत्पन्न होते हैं। वह झपती भूलों और कठोर पश्चाताप से गुजरता हुप्रा सत्य और सौदर्य की ओर उन्मुख होता है, वह प्रेम दूढ़ता है और श्वय दौ वह लोभो के भ्रति अपने प्रेम को उदारता से लुटाता है। /विमृश्ध यायावर” मे लोकबीरता की विपयवस्तु लेस्कोव की कृतियों में प्रथम बार प्रयुक्त हुई है भौर नायक झपनी सच्ची ग्रातरिक महानता के डा वास्तविक सोक-चारित्विक विशेषताप्रो को धारण किए हुए प्रकट हुआ 1 एकः प्न्य दथानायक-सुयोग्य केशप्रसाधकः ग्ररकादी (“ प्रसाधन कलाकार, १८८३) के जीवन का इतिहास भोर भी भ्रधिक उदासीनता १३




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