मनुष्य जाति की प्रगति | Manusye Jati Ki Pargati
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
408
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ज.)
३३-- शासनपद्धति
विविध शासन-पद्धतियाँ--राजा के अधिकार--राजतंत्र; अवैध और
वैध--राजा निर्वाचित या पैज्िक १--कुलीन तंत्र और लोकतंत्र--प्रतिनिधि
प्रणाली --ल्लोकतंत्र में कमी--संघ-राज्य --विशेष वक्तव्य |
पृष्ठ २३२८-२३ ४
४--कानून क्र
कानून पालन--प्राचीन काल में कानून-निर्मास ओर न्याय-काय--
विधान-मंडल--कानूनों की इंद्धि--विशेष वक्तव्य | पृष्ठ २३४-२२७
युद्ध
मनुष्य. गओ्रौर युद्ध--युद्ध के कारण; जमीन, जोरू, जर-- विविध येद्
भाव--युद्ध के साधन - अरु-बम--युद्ध का क्षेत्र--बुद्ध का आदमी के निवास-
स्थानों पर प्रभाव--विशेष वक्तव्य | पृष्ठ २३७-२४४
३६--शान्ति और अहिन्सा . পুন
शान्ति के प्रयत्न-राष्ट्संघध--निशर्लीकरण--संयुक्त राष्ट्रघंघ--सुधार
की आवश्यकता--अहिन्सक प्रयत्नों का महत्व--व्यक्तिमत सफलता--
अहिन्सा का सामूहिक उपयोग,राजनेतिक क्षेत्र में--विशेष वक्तव्य ।
पृष्ठ २,४४- २५०.
आठवां माग; आशिक सद्भंठन
२७-प्रारस्सिक आर्थिक स्थिति
मनुष्य जंगली हालत में--शिकारी या मछुए की दशा में--चरवाहे या
गड़रिये को दशा में--किसान की दशा में--विशेष वक्तव्य |
५ | पुष्ठ र४३-२४५.
द८- गुलामी
गुलामी का प्रारम्भ गुलामी से सामाजिक परिवतन- गुलामी, सम्य
নাঞ্সাঁ का आधार--गुलामों का व्यापार-- दासोद्धार, इंगलेड मे--श्रमरीका
की बात- गुलामी हटने का आधिक कारण--विशेष वक्तव्य |
সি पृष्ट २५४४-२६ १
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