मनुष्य जाति की प्रगति | Manusye Jati Ki Pargati

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Manusye Jati Ki Pargati by भगवानदास केला - Bhagwandas Kela

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ज.) ३३-- शासनपद्धति विविध शासन-पद्धतियाँ--राजा के अधिकार--राजतंत्र; अवैध और वैध--राजा निर्वाचित या पैज्िक १--कुलीन तंत्र और लोकतंत्र--प्रतिनिधि प्रणाली --ल्लोकतंत्र में कमी--संघ-राज्य --विशेष वक्तव्य | पृष्ठ २३२८-२३ ४ ४--कानून क्र कानून पालन--प्राचीन काल में कानून-निर्मास ओर न्याय-काय-- विधान-मंडल--कानूनों की इंद्धि--विशेष वक्तव्य | पृष्ठ २३४-२२७ युद्ध मनुष्य. गओ्रौर युद्ध--युद्ध के कारण; जमीन, जोरू, जर-- विविध येद्‌ भाव--युद्ध के साधन - अरु-बम--युद्ध का क्षेत्र--बुद्ध का आदमी के निवास- स्थानों पर प्रभाव--विशेष वक्तव्य | पृष्ठ २३७-२४४ ३६--शान्ति और अहिन्सा . পুন शान्ति के प्रयत्न-राष्ट्संघध--निशर्लीकरण--संयुक्त राष्ट्रघंघ--सुधार की आवश्यकता--अहिन्सक प्रयत्नों का महत्व--व्यक्तिमत सफलता-- अहिन्सा का सामूहिक उपयोग,राजनेतिक क्षेत्र में--विशेष वक्तव्य । पृष्ठ २,४४- २५०. आठवां माग; आशिक सद्भंठन २७-प्रारस्सिक आर्थिक स्थिति मनुष्य जंगली हालत में--शिकारी या मछुए की दशा में--चरवाहे या गड़रिये को दशा में--किसान की दशा में--विशेष वक्तव्य | ५ | पुष्ठ र४३-२४५. द८- गुलामी गुलामी का प्रारम्भ गुलामी से सामाजिक परिवतन- गुलामी, सम्य নাঞ্সাঁ का आधार--गुलामों का व्यापार-- दासोद्धार, इंगलेड मे--श्रमरीका की बात- गुलामी हटने का आधिक कारण--विशेष वक्तव्य | সি पृष्ट २५४४-२६ १




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