राजस्थानी सबद कोस भाग 2 | Rajasthani Shabd Kosh vol-ii
श्रेणी : भारत / India, भाषा / Language
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
45.73 MB
कुल पष्ठ :
662
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)थाना ीीणिु
शप्र€€ . थंडियोड़ी
थ-- संस्कृत, राजस्थानी व देवनागरी व्णसाला में सत्रहवाँ व्यब्जन जो
तवरगं का द्वितीय वर्ण है । यह तालव्य स्पा व्यल्जन है । इसके उच्चा-
रण में जीभ ऊपरी मसूड़ों को स्पद्षं करती है । यह श्रघोष श्रौर
महाप्राणा है ।
थंड-सं०्पु०--१ समूह, दल । उ०-+१ चौधारां लाल लाल खग चीरंग
बयंडां थंडां श्रोरवै बाज, फौर्जा कदर तमर भर फाड़े, रव जम जद्ठ-
हलियी जसराज ।- चांवंडदांन बारहठ
उ०--२ जुड़े सेन थंडां जाड़ा वाछी घोम जाछा री सावात जागी ।
--दुरगादत्त बारहठ
२ सेना, फौज । उ०--जाडा थंडां जियार, लोह श्राडां भड़ लागा।
जेण चार “जैसाह, भिड़े हरववठ दछ भागा ।--सु.प्र-
३ सघनता । उ०--चंपू की श्रंघेरी वोलसरू' के थंड । रतिराज के
श्रसपवक श्रासापालव के भंड ।--सु.प्र-
'४ ढेर, ,राशि । उ०-सारीही वस्तु री तयारी हुवे छे,
श्रमलां पांखियां रा थंड लाग रह्या द, चार पहर रात ने दिन
गहतंत हुवा रहे छे ।--कुंवरसी सांखला री वारता ः
४५ देखो 'ठंड' (रू.मे.)
वि०्--घना, सघन ।
रू०्भण्--थंडाक, थंडी |
थंडणी, थंडबी-क्ि०्स०--+१ पराजित करना, हराना, खदेड़ना ।
उ०-मंड खगभाट थंड नग मेर ।--सू-प्र.
२ प्राप्त करना । उ०--थर्टे ब्रायो जैत थंडे, मेड़ते सुक्कांम मंडे ।
-सू-प्र,
३ कस कर भरना, ठूंस-दूंस कर भरना । उ०--१ चंडे चंडे कहि
चरच, मंडे चि्रांम सिंदूरां । थंडे सोर थेलियां, भरे गोा भरपुरां ।
-सूप्र
उ०--* धरे मभारां घूप ग्रापतापा श्रातापां 1. थेलां दारू थंडे गजां
गोठां अणपारां ।--सू.प्र-
क्रिम्य०-४ एकत्रित होना, इकट्ठा होना ।. उ०--मंत्री सुभठ
थंडत नह मेला, चवें न नव रस सुकवि सचेला ।--सू.प्र,
थंडणहार, हारी (हारी ), थंडणियौ--वि० ।
थंडवाइणी, थंडबाइवौ, थंडवाणो, थंड्वाबौ, थंडवावणी, थंडदावबी,
थंडाइणी, थंडाइबी, थंडाणी थंडाबी, थंडाचणी, थंडावबी --प्रे०रू० ।
थंडिश्नोड़ी, थंडियोड़ी, थंडयोड़ी -भू० का ०कृ० ।
थंडीजणी, थंडीजबौ--कर्म वा०, भाव वा० ।
थंडाक--देखो 'धंड' (रू.भे,) उ०--डाक घीह श्रांबाक गांजाक तौ
भलाक दीसे, रचे भ्रे थंडाक केश ऊपर राजेस ।--वखती खिड़ियौ
थंडियोड़ौ-शू०का०कृ०--१ परोजित किया हुआ, हराया हुमा, खदेड़ा
हुप्ना८. २ प्राप्त किया हुमा. ३ कस. कर भरा हुमा, ठूंस-ठूंस कर
भरा हुमा. ४ एकन्रित हुवा हुमा, इकट्ठा हुवा हुआ 1
(स्त्री० थंडियोड़ी )
थंडिल, थंडिल्ल-सं०पु० [सं० स्थण्डिल] १ जैनियों का 'संथारो' करने
का स्थान (जैन) २ जेनी साधु्नों के शौचादि जाने का स्थान (जैन)
३ शौच; टट्टी, विष्टा (जैन). ४ क्रोध, गुस्सा (जन) ह बेदी,
वेदिका, ६ दढेलों का ढेर. ७ सीमा, हद ।
रू०्भे१--ठंडिल, ठंडिल््ल 1
थंडी, थंडीस--१ सप; नाग (रूमे.) उ०--जांमंगी भंडीस ज्याग,
आयौ ज्यूं चंडीस जायौ, राजपत्री श्रायी ज्यूं थंडीस वाछ
रेस । भ्रोडंडीस कसीसती लाॉगड़ौ कपीस श्रायौ, कोडंडीस कसीसतौ
्रायौ गुड़ाकेस ।--हुकमीचंद खिड़ियौ
२ देषनाग ।
थंडौ-सं०पु०--१ देखो “थंड' (रू.मे.) । उ०--१ पद लूंसकरण,
करमसी सिंध सूं श्रजांसजक रा श्रठी नूं श्राय ने मांगा रावत भीमा
नूं सहेट मार्थ तेड़िया, सु श्राया । श्रठी सूं वां श्राप घोड़ा लिया । पढे
अ्रसवारां रो थंडी वांसे राखियी ।--नैरासी
उ०-२ तर कहद्मो, 'इणां रा दांत पाड़िया चाह्ीजे । तर एकबार
परी साथ ले ने वाहर चढ़िया । वे श्रागे थंडी कर ऊभा रह्मा था;
देठाछौ हुवी, तरठ मांसली हुवी 1--नैरासी
२ देखो “ठंडो” (रू.भे.) उ०--इतरा में भरमल री मां रो वडारण
झाय कही--सत्ताब पधारौ, थाठ थंडी हुवे छे ।
-उकुंवरसी सांखला री चारता
थंथ-सं०पु०--श्रनगंल प्रलाप, तथ्यहीन बात, बकवास ।
उ०-माछ-मेछ मिठणौ न हर, थोथी कर मत थंथ । पीव पग सम-
हर पड़े, पिसणां-पग घर पंथ ।--रेवतर्सिह भाटी
थंथापली, थंथौ, थंथ्यौ-वि०--श्रनर्गल प्रलाप करने वाला, तथ्यहीन वात
करने वाला ।
थंब-सं०पु० [सिं० स्तम्भ] १ राजपुतों का एक भेद, २ सहारा, झ्राश्रय |
उ०--जीव दियौ जसवंत जद, चमक लोक श्रचंभ ।. थिर पर राज-
स्थान रो, थंब गिरचौ रण थंभ ।-: ऊ.का.
३ रक्षा करने वाला, रक्षक ।. उ०--सुर तन तेज भछढछाट पौरस'
सरस, खित सुछधछठ जेज नह घरी श्रड़ीखंब । नेजवंध वेहूं प्रोछाड़ कोटां
नर्वां, थया मुह मेज घरती तथा थंघ् ।1--पहाड़खां आ्राढ़ौ
रू०्मे०--थंभ।
४ देखो 'थंबी' (महू, रू.मे.)
थंबजंग-सं ०पु०्यौ० [सं० स्तम्भ+-फा० जंग] बहादुर, योद्धा, वीर ।
उ०--झआप नामी दादा रा उजाछिया विरद थ्राचां, गाढेराव गाछिया
जोड़ रा भड़ां गाव | मारवाड़ थंबजंगां जीत “विसनेस' मारू, वर्ण घाव
अ्रंगां छत्रीपणा रा वरणाव 1--विसनसिंह रो गीत
थंबणी, थंबवी--देखो 'थंभणी, थंभवौ” (रू.मे.)
थंवियोड़ी -देखो 'धंभियोड़ी' (रू.भे.)
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