रासलीला - विरोध परिहार | Raslela Virodh Parihar
श्रेणी : हिंदी / Hindi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
58
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रमानाथ शास्त्री - Ramanath Shastri
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)£
( १५ )
খান भी ( भगवान व्यासः ) ( भगवान नारदः ) इत्यादि ऋषियों को
भी भगवान् विशेषण श्रातहै 1 ।किग्तु यह उनका भगवत्त्व आंशिक और
रौर आगन्तुक है । यही बात ईश्वर शब्दमें भी है| ईश्वरभी साधारण
ओर असाधारण होसक्ताहै । इंष्टे, असो इंश्वरः कर्वुमकदुमन्यथाकर्तु समथ
इंधरः । ( इंश्वरः सवेभूतानां हृदशेडज्जुन तिष्ठति ) आदिवचनोंसे यह
स्पष्टट ।जिसमें अनागन्तुक अनारोपित रीतिसे अप्रभय सामर्थ्य हो वह
इंश्वर शब्दका असंकुचित अथे है, अत एवं असाधारण है। किन्तु साधा-
रण आंशिक इष्टिसे देखगेतो थोडी सामथ्यं वारा भी पुरुष रेश्वर कहा
जामसक्ता है | जेसे राजा । वह भी सब कुछ करने की सामथ्ये रखताहै।
किन्तु छोकिक पुरुष में यह इंश्वरत्व साधारणही है । राजाने अपने प्रशम
भगवान् जर जगदीश्वर दोनो शब्द दोनों इष्टिस ही रखे हैं उसे सा
৬ বিটি
धारण आर असाधारण दाना रातस उत्तर दल्वाना हू | वह ता सम-
. शचुका है कि भगवान श्रक्षिष्ण साक्षातपृणब्रह्मह आर इसीलिये उनकी
किसी लीलाओम उसे किसी तरह काभी सन्देह नदीं हे किन्त अग्रभावों
किंवा तत्सामायेक कितने ही साधारण अधिकारियों के हृत्य में असं-
भावना विपरीतभावनायें हो सक्ती है इसछिये उन्हे उत्तर दिलवाने के लिये
उसे यह प्रश्न करना पडा है।
और अत एवं उसने समझबूझ करही “ भगवान् ” और “ जग-
दीखर ” इन शब्दांका प्रयोग कियाहै ।
श्रीड्ुकदेवजी चार शछोक परथन्त अर्थात् ३० वे छोक से ३३ छो+क
पर्यन्त साधारण इष्टिसे उत्तर देते द! राजन् ! रासछौला पर इस तरहका .
User Reviews
No Reviews | Add Yours...