श्री संग का सेवक | Shri Sang Ka Sevak

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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५ र. ) ६ ক ৯২ द) तजेत धरम, जन शास्त और जैन सेसार-के जिए-लोकाशाह दे | थी ३० सं० १४६८ -में गुरू नानक का अन्म हुआ चार तुरत; १५१७.६० में धर्मवीर मार्टिन - ल्यूथर ने केथोलीक संम्प्रदाय : जन्म क्षेकर अन्ध श्रद्धा का खमूल नाश. करने का प्रयत्त किया, . ऐपीय उस इतिहास से करीब ४० वर्ष पहल्के अथात्‌ १४४२ में 'नधमे के ल्यूथर रूपी सूच गु जरपाट चगरा से ऊगे, ० ख० १४७४ ' लोकागरुछ .की स्थापना हुई, इस गच्छ के संस्थापक ने: महर्षि याननद्‌ ओर ल्यूधर के समान सूरतिपू जा का निराकरण -किया। मूर्नि- - সা অজ विरुद्ध त्रावित की, शि/थल्ञाचारी साधु গা দন জন্ম _ ट्ट किया, जादू टोना. अध्यात्म सागे का. अग नहीं ऐसा सममकाया, - धम सूत्रा 'को अपने हाथ स शिखक्वर घमामिलाषियों का. सम्- - काया, चतु पे छघकी घमं पराधी भावनाओं को सत्‌ घुम र्पम्‌ ` रद) भद्‌ इतना ছা रहा कि महात्मा ल्यूथूर पाइरो - थे, दयाननद ১ स्वाा सन्‍्यासा- थे, आर लाकाशाहू आये महं -आदश .दिखाने:मे : निपुण गृदस्थाश्रमी साधुराज-थे, जनक विदेधी.. केःसभान - संसार भार घुःन्वर संन्यास थे.। अदीक्षित किन्तु भाव दीक्षित थे; - जैच : खन्त जिनप्रभुकी उपासना केःलिए ४५४ सनन्‍्यस्थ-सुभटों: को ভীল্বা ; प्लिचाकर ससमसस्‍्थ -आयोवत- से भ्रमणाथ- छोड़े , -खिस्त धर्म. सु जपत्‌ ल्यूथर क॑ ४०:वर्ष पहले :अमदावाद हु घढणा ५ एयूथर के समस्त खिल्ती, जगत्‌ को लेभार रहा, दे लोकाश।॥




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