श्री संग का सेवक | Shri Sang Ka Sevak
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
22 MB
कुल पष्ठ :
714
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)५ र. ) ६
ক ৯২
द) तजेत धरम, जन शास्त और जैन सेसार-के जिए-लोकाशाह दे
| थी ३० सं० १४६८ -में गुरू नानक का अन्म हुआ चार तुरत;
१५१७.६० में धर्मवीर मार्टिन - ल्यूथर ने केथोलीक संम्प्रदाय :
जन्म क्षेकर अन्ध श्रद्धा का खमूल नाश. करने का प्रयत्त किया, .
ऐपीय उस इतिहास से करीब ४० वर्ष पहल्के अथात् १४४२ में
'नधमे के ल्यूथर रूपी सूच गु जरपाट चगरा से ऊगे, ० ख० १४७४ '
लोकागरुछ .की स्थापना हुई, इस गच्छ के संस्थापक ने: महर्षि
याननद् ओर ल्यूधर के समान सूरतिपू जा का निराकरण -किया। मूर्नि- -
সা অজ विरुद्ध त्रावित की, शि/थल्ञाचारी साधु গা দন জন্ম _
ट्ट किया, जादू टोना. अध्यात्म सागे का. अग नहीं ऐसा सममकाया, -
धम सूत्रा 'को अपने हाथ स शिखक्वर घमामिलाषियों का. सम्- -
काया, चतु पे छघकी घमं पराधी भावनाओं को सत् घुम र्पम् `
रद) भद् इतना ছা रहा कि महात्मा ल्यूथूर पाइरो - थे, दयाननद
১
स्वाा सन््यासा- थे, आर लाकाशाहू आये महं -आदश .दिखाने:मे :
निपुण गृदस्थाश्रमी साधुराज-थे, जनक विदेधी.. केःसभान - संसार
भार घुःन्वर संन्यास थे.। अदीक्षित किन्तु भाव दीक्षित थे; - जैच :
खन्त जिनप्रभुकी उपासना केःलिए ४५४ सनन््यस्थ-सुभटों: को ভীল্বা ;
प्लिचाकर ससमसस््थ -आयोवत- से भ्रमणाथ- छोड़े , -खिस्त धर्म. सु
जपत् ल्यूथर क॑ ४०:वर्ष पहले :अमदावाद हु घढणा
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एयूथर के समस्त खिल्ती, जगत् को लेभार रहा, दे लोकाश।॥
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