हिन्दी साहित्य और उस के निर्माता | Hindi Sahitya Aur Uske Nirmata

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Hindi Sahitya Aur Uske Nirmata by प॰ लक्ष्मी कान्त - P. Lakshmi Kant

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ३ ) कृष्ण-मक्ति-शाखा-१४२ श्री वह्लभाचाय १४२, खरदास ३७६, सूरसागर ५९०, असर-गीत १६४, भक्ति-भावना ६७०, काब्य-साधना १७२, चरित्र चित्रण १७३, भाषा 1७२, सूर और तुलसी १७८६, च्रष्टद्धाप १७७, लन्‍्ददास १७७, कृष्णदास १८१, परमानन्द दास १८२, कुम्भनदास १८३) चतुसुज १८७, छीतस्वासी १८७, गोविन्दस्वामी १८४, अन्य फवि १८५, दित दरिवंश १८६, गजाधघर भट॒ट १८७, सीराबाई 1८८, भक्ति-भावना १६०, काष्य-साधना १६२, स्वामीहरिदास १६३, सूरदास मदनसोहन १६३, रसखान १६७, ब्यास जी २०१, मे चदास २०३ । मक्ति-काल की फुटकल काव्य-घारा--२०४ केशवदास २०९, काष्य-साघना २०७) कृपाराम २१३, गंग २१४, रहीम जी २१९, काव्य-साघना २१६ सेनापति २१८ नरोत्तम दाक २२०, महाराज टोडरमल्र २२७, महाराज वीरवल्ञ २२४ । रीति-काल ( सं० १७००-- १६.००) सामाभ्य परिचय २२७, राजन विक स्थिति २२६, सामाजिक्छ-स्थिति २३१, धार्मिक-स्थिति २३२, सादित्यिक स्थिति २३७, हू गारिकता




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