संस्कृत काव्य के विकास में जैन योगदान | Sanskrit Kavya ke Vikash Mein Jain Kviyon ka Yogdan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
24 MB
कुल पष्ठ :
707
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ नेमिचंद्र शास्त्री - Dr. Nemichandra Shastri
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१६ संस्कृत काव्यके विकासमें जेन कवियोंका योगदान
भूखा आ सकता है, जिनके प्रोत्साहनसे यह ग्रन्थ प्रकाशित हो रहा हैं। में ज्ञानपोठके
सभी वरीय पदाधिकारियोंके प्रति अपना हादिक आभार व्यक्त करता हूं ।
श्री डं. ए. एन. उपाध्येके प्रतिं भी नतमस्तक हूं, जिनके स्नेह भौर
समालोचनसे लाभान्वित हुआ हूँ । अन्तमें अपने गुरु पृज्य श्री पं० कैलाशअरदजी
शास्त्री, वाराणसोके चरणोंमें भी श्रद्धाभक्ति व्यक्त करता हूँ, जिनके आशीर्वादसे यह
ग्रन्थ लिखा गया ।
सहयोगियोमे श्री डँ. राजाराम जैन गौर श्रो पं० रामनाथ पाठक प्रणयीका
भो उपछृत हूँ, जिनसे प्रेरणा और प्रोत्साहन प्राप्त हुमा । प्रफ संशोधनका कार्य श्री पं०
महादेवजो चतुर्वेदीने किया है। उनकी इस सत्कृपाके लिए भी मैं आभारो हूँ ।
इस प्रयासमें सहयोग देनेवालोंमें मैं अपनी घर्मपत्नो श्रोमतों सुशोलाजीको
भी साधुवाद देता हे, जिनको कर्मठताके कारण मैं घरेलू विन्ताओसे मुक्त रहकर
साहित्यदेवताकी आराधनामें तत्पर रहता हूँ । अन्तपें सभो सहायता करनेवाले महा-
नुभावोंके उपकारका स्मरण कर अपना आभार व्यक्त करता हूँ ।
भोलाभवन, १, ने|मिचन्द्र शास्त्री
महाजन टोलो, आरा
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