पांतजल योग दर्शन | Patanjal Yog Darshan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Book Image : पांतजल योग दर्शन  - Patanjal Yog Darshan

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
थे गद्ुन भ्रूमि । ११ हक कक के कर की न चना सलमगथ दशि६ारा जाध्युन्मालुसार गेदने। न्मापिलाव थे रशे. सा व डा- उुधी तसिरीष क्ति उड़े छे के अनन्ता बै बेदा - १६ सतरहित छे या श्रति पु छानना वर रतशुनना वेने पूछ १६ भानपाथी न चित थाप छे सोबुं बर नटिं पु भीन्न नेड दे प्राप्त थाव छे मे पे. पुर्वेनी नस पाणुनीय विनेरे रवशुलारते स्पष्ट छे. से ते। दि गे छू हु समुड शरध्सगूषनां पुद्तने। रेप उरपागाउं सपेक्षित स- वे घर दावा ब्वेघणे न ते। डाघसे स्पप्छधपछे लगेशां भावी निपषड पाउये पथ वेद नॉछि छत ६ उन अप्त धाव से घें। 0 छः प्रधन ते सपूदेमिवडत्न ते वाउपनां हेतु न्नघने अतिपा इित थे करतुता सता न्नेघणे माने मुण्यना से हि जेनी से बतावुषषी पर्देसगना पा छपी सतेघखे तन लत तेना अुताने शुरूभद्धि थे फाते सोने धर छे. पु उते। नधी सवु लाने धर्वु र्नेघरो तथा ते खुरुप साधिडारिय पुरुष छत ग्नेघणे सा विगरे क्षक्षण। प्ले समा क्षण अत जघ चाहउनसबूर्नां सिर धाय ते तेने पथ व्‌ दान्पगत भानत सउयष्शु नथी से ते सायु न्त छे म न्मा पर्भानेा स्नान ब्नोशी शब्ना नह सर झदिन छे नस मना छे तेधी खेती नि्ुष पु सेवा सिवा रेड पुरुपनरेदप शिष्टा थी नह ध- चाते। तथा तेरा नमन्यूने ब्त्शुतवानोा नमन्य उपाय धन भार नधी. साधना चच्सयसुा। संस थे सिद्ध धया खेठने वे दे? प्रथन शान उरी छती तना वियार थे शड़ि छे. तथा बे यायु- ५८3५ गार्जी विसरे नमानी 5पर्ानिवियी ट्वापापतति उरी छती ते हून रथाप छे. पभड इभियतन मध देपडप नी समा वर डर्ुधी पान पाप्मेद् से पु दपइप नथी तन रे पेदेना जशीताइप ढो पे न६- पिन नाना नमाव छे ते. चाधिा रिड सुरुष छे सन पतिपाधनां पर राम इुण्स हनुमान निगरेनां नाम व छे ते से पु भा- ये तथा सधितिई वनुखे। छ यधाल्‌ ना सब नानपारी मैष्डभ्य राष्टिना पुरुष हावी अतिसर्ण सेना से नर नागधी साविावने पा ने छे तेथी से. नानडत वदता में पु था घटते। नयी सा रथ सो अप हे समा रीत ता राभायष्यू नारा दि पर नेध्यत्‌ नि तप हरे सो येाथ्य नी अर है से अधीन श्रीरानयप्रश् विेरे- तनु संपू्ु यरित साप्यु रे. पते बम वरितिनां मेन सडतथी सा- चिनरातुसार भरत व्यू छे ते प/ अगाए छवेते खेनना समघधी भुक्तत्नवूं अतिषाइन स्यु छे तेथी नर छवेाने भुक््ततवुं अतिपाइन इयु छे. ते. छवेसाधिता| संघ उत्तर समेनां नदिं छेनाधी ते




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now