नागरी प्रचारिणी पत्रिका | Nagri Pracharini Patrika
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
42
श्रेणी :
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No Information available about विश्वनाथ प्रसाद मिश्र - Vishwanath Prasad Mishra
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)'घोटमदं' और छापा नाटक! १५१
कुछ पहले तक संगल में कागज पर बने मशमसित्रों को तरद्द सपेटे
पौराणिक चित्र दिखाए अते ये । इस प्रदशेन को पट नाचानो' कहा जाता
था और प्रद्शक 'पटुआ' या 'पटिदार' कहे जाते थे। इसके अंत में भी
यमराज-सभा का दृश्य रहता था । उक्क प्रद्शक साधु ही होते थे ।
नीलकंठ जी को टोका उपर उद्घृत को जा चुक्ो है। उससे यह
ध्यभि निकलतो है कि छाया नाटकों का प्रयार दच्चिण मारत में हो था,
उच्तर भारत में नहीं। पर किसी म किसी रूपमे यदह परपरा उखर मास्त
में भो अधवश्य चलतो थी। 'कठपुतलोी' का नाथ क्या है, छाया नाटक
को हो परंपरा तो! 'कठपुतक्ती' का मा दिखलानेवाले में 'सत्रघारता'
ओर 'चर्याप्रद्शनकारिता' भी संनिविष्ट दे ।
यह नहीं कहा जा सकता कि छाया नाठकों में परदे के पीछे से
पात्रों का बक़ब्य भी नाटकीय ढंग से कहा जाता था अथवा नहीं। यदि
कहा जाता रहा हो तो डस छाया नाटक की तुलना बहुत अंशों मे आधु-
लिक 'टाकी' या 'सवाक खित्रपट' से हो सकती है।
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