चन्द्र प्रभ जी की जीवन यात्रा | Chandra Prabh Ji Ki Jivan Yatra

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Book Image : चन्द्र प्रभ जी की जीवन यात्रा  - Chandra Prabh Ji Ki Jivan Yatra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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है। अर्जुन! तुम्हे ऐसे क्मों से मुक्त होगा है गुणीतीत होगा है। सभी कर्मकाण्ड वेदमूलक दै ओर वेद को तिगुणात्मक कहा गया है। मुमुश्नु के लिए इन क्यों का निपेध है। यागी रुूढिमूलक नान मिच्यात्व मे युक्त है। इसलिए ফক্কিঘল যান से हटनां चाहिये। व्न पाँचो मिय्यात्वों से हटना ही आत्म विकास का पहला आयाम है। तो मिच्यात्व जो चीज जैषी है उमन्तो उसके ठीक विपरीत देखना। जो चीज जैसी है उसको उती स्प मे देखना उसको सम्यक्त्व कहते है। यथार्थ वो अययार्थ समना या जयार्थं कौ यथार्थं समना निथ्यात्व है अविद्या है। और प्राय कर ससार के प्राणी हमेशा यथार्थ को अयधार्थ ही समसते है। वह सत्य को असत्य गानता है असत्य को सत्य मानता है अयथार्थ को यथार्थ मानता है। जा चीज जेमी होती है टीक उसके विपरीत मातता है। जैते यथार्थ तां यद है फि गूढ नहीं बोलना चाहिए मगर मिच्यात्वयुक्त पुरुप जरूर गूढ बोलता है। सत्य तो यह दहै कि कामभाग दु खकर है मगर ससारी प्राणी गिथ्यात्व के कारण उसे परम मुख मानता है। खुजली खुजलाने पर तो आनन्द मिलता है वाद मे भले ही दुख मिले। लो जैसा है वह ठीक उसक विपरीत समझता है। उसी को कहते हैं मिय्यात्व। उस विजली के खम्भ का चोर सगय लेना मिथ्यात्व है। अथवा इस प्रकार समझिये - होली के दिन वच्चे लोग कभी-कभी तमाशा करत हैं। तमाशा यह करते है कि एफ मांटा सा रस्सा ले लेते हैं। उस रस्सी को दीचे सडक पर डाल देते हैं। कितारे उसके एतता मा धागा वाध देते है ताकि जैसे ही कोई आदमी उधर से गुजरता 6 क वच्यै किनारे बैठे रहते हैं और वे उस धागे को थोडा सा हिलाते है। जेसे ही धाया थोडा सा हिलता है कि वह रस्सी भी थोडी हिलने लगती है जो आदमी उधर से आ रहा है वह सोचता ह कि सप है। वह यट से धवराकर पीछे हटता है कि सपं है। वह चिल्लाता है सर्प सर्प भागा। वच्चे हसते है। वच्चे कहते है वह ता रस्सी है। परन्तु आदमी उसका सर्पं मानता -। ठीक है यदि रस्सी को सर्प मानेग॑ तो लोग हँसी उडायंगे। मयर यदि सप कय रस्सी मान लिया तो बडी हानि है। यदि सर्प को रस्सी मानकर हाथ मे लगे तो गये हम काम से। रस्सी को सर्प मान लिया तो चलन जायेगा जमे तैसे1.मगर यदि सर्प को रुम्सी मान लिया तो बहुत वडा मिथ्यात्व आ गया। इसलिए कभी भी जो चीद्र जेसी है «~ / কার समझो। आपने यह शब्द तो बहुत 2 ७




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