शब्दार्थ चिंतामणि खंड 3 | Sabdartha Chintamani Khand 3
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
19 MB
कुल पष्ठ :
392
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)के | साणवके | भप्राप्तव्यवहारे ।
पश्चद्शवर्षादनधिकषयस्के दतिका-
जित् | षोडशवर्ष पर्यन्तप्रधमवय-
सके । यथा | आषीडशाहवैद्याली-
यावत्चीरनिवत्तेक | इ* ॥ अत्र
सुश्रत । ऊनषोडशवणेस्तुनरो।-
लोनिगद्यते त्रिविध सोमिदुग्धाशो
दुग्धान्नाशीतथान्नभुक् दुग्धाशीवर्ष
प्रयन्तदुग्धान्ाभी गरथम् | तदु'त्तर
ए दन्नाशीएयबालस्लिघामतडूति ॥
अन्यधाप्युत्ञम् । भापोड़शाहपेदा-
ज॑स्तरुणस्ततउच्यवे 8४ खात्
सप्ततेरुद वर्षीयान्नवते प्रस् ॥ इ०
५ अनाथवालबदानारचिका सर्वदेव
ता * अधवालपरिचर्याविधि ।
बालमद्देसुखदद्यान्नचेनतज्णेयेतक्
चित् । सहसावीधयेन्नेषनायोग्यमु-
पयेत् + चयोग्यमुपबेशनासमर्घ
म् । नाह्वष्यस्थापयेतक्रोडेनसिप्र -
शयनेचिधत् । रोदथेन्नक्षवित्कायं
विध्सावश्यकबिना॥ अाबश्यको-
(पिमेंषजदानतेलाभ्यड्रोदत्त ना-
दि, व
मोदटयेत् । स सेषितस्ननापएबनिचख-
मेवाभिबद्धधेत् ॥ वालातपतडिष्-
शटिधुमानलललादित । निलोच-
स्थानतञ्चापिर्ेदालप्रयब्रत ॥
----~-----~----~ . * ५
वालखिल्य ९
नसदुयत्तच्चतथ।खदरुरेपनम् ॥
जन्मप्रस्तिपध्यानिवालस तानि-
सर्वधा 1 वालस्यकवलादे समय
माह | कवल प्ष्मादर्षाहठिशते-
श्र बमेथुनसिति ॥ बलति | बलप्रा
शने । ज्वलितीतिश । बाडते ।
बाडभ्राज्ञाव्य। प्रच्राद्दजबा ॥
यहा । बल्यते । बलसंगरणे | कस
ঘিঘজ্ ॥ बालयति श्खात्प
चादाज्वा । ऊमैकादथवर्पस्यप्चव
দাঁঘিজাঘ । सरस मुष्ापि
प्रायधित्तंविशुश्यं । ततोन्य.मतर
स्याश्यनापराघोनपासव्षम.। नचा
ष्ट गजदर्डोपिप्रायश्धित्तमविद्यत
इ.्यङ्गिया ॥
वालक । प° शिशौ । अभ्रे ॥ बवाल
धी ) इस्िपुच्छ॥ सदगुरीयक्षे ।
हीवेरे |सुगस्थिबाला० डू० प्र० ॥
बालकशीतलरुकषल धुदी पन पा चन-
सम इक्षासाशजिवीसप्पहट्रीगसव-
तिसारहत् | बलये | केशे | निषे
से ॥
वालकमप्िया । सी इन्द्रवारुणवाभ,
॥ कदल्याम_॥
बालक्षमि , | पु० कैशकीर्टी |
वाशक्रौडनम. । न, षालकसेलाया-
म.॥
( बालखभा ितान्याह । अव्यङ्गो | साल्रीडनवा | पु कपद के ॥
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दर्तनेस्नाननेत्रयो रक्षनं॑तथा । बस | बालखिल्य । पु« तपोविशेषलब्ध- )
| ~.
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