नागरीप्रचारिणी पत्रिका तेरहवाँ भाग | Nagaripracharini Patrika Bhag 13
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
524
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पद्मावत का सिहल द्वीप १५
माघ सुदि ५ बुधवार का उदयपुर--चित्तोड़ रेलवे के कांकरोली रोड
स्टेशन से ८८ मील दूर दरीबा स्थान के माता के मंदिर के स्तंभ पर
खुदा हुआ है! इन लेखों से निश्चित है कि समरसिंह की शयु
और रज्नसिंद्द का राज्याभिपेक वि० सं० १३५८ माघ सुदि १० और
चि सं० १३५८६ माय सुदि भ के वीच किसी समय होना चादिए।
रत्नसिंह को राज्य करते हुए एक वर्ष भो नहीं होने पाया
था कि पद्चिनी के बास््ते चित्तोड़ की चढ़ाई के लिये सुल्तान अला-
उद्दीच ने सोमवार ता० ८ जमादिउस्सानी हि? स० ७०२ ( वि°
सं० १३४७ माघ सुदि €>वा० २८ जनवरी ई० स० १३०३ ) की
प्रस्थान किया, छ: महीने के करीब लड़ाई होती रही, जिसमें रज्-
सिंह मारा गया श्रार सोमवार त्ता० ११ हरम दि० स० ७०३
(बि० सं० १३६० भाद्रपद सुदि १४ = ता० २६ प्रगसख ई० स०
१३०३ ) को श्रल्लाउद्दीन का चित्तोड़ पर अधिकार द्वै गया ।
रस्तसिह सगभग एक वर्ष ही चित्तोड़ का राजा रहा; उसमें भी
अंतिम छः मास ते अल्लाउद्दीन के साथ लड़ता रहा। ऐसी स्थिति
में उसका सिंहल ( लंका ) जाना, बहौ एक वपं तक रहना शरीर
पद्मिनी के! लेकर चित्तोड् टना सर्वथा श्रसंभव है, अतएव जायसी
का सिहल द्वीप ( सिहल ) लंका का सूचक नहों हा। सकता ।
काशी की नागरीप्रचारिणी सभा-द्वारा प्रकाशित ज्ायसी ग्रंथा-
নন্দী ( पद्मावव भौर अखराबट ) फे विद्वान् संपादक पंडित रामचंद्र
शुक्ष ने अपनी भूमिका में लिखा है “पद्चिनी क्या सचसुच
নিহত की थो ? पद्चिनी सिंहल की हो! नहों सकती । यदि सिंहल
नाम सीक माने ते वह राजपूताने या गुजरात का कोई स्थान
हग 1 उक्त विद्वान का यह कथन बहुत ठोक है श्रौर उसका
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(१ ) जायसी मंवावल्ली; काशी चागरी-प्रचारियी सभा का संह्करण,
मिका, प° २६।
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