तीर्थकर चरित्र भाग - 1 | Teerthakar Charitra Bhag - 1
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
404
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१४ ` तीर्थकर चरित्र
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कः
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किया । मै उस प्रसंग को भूल ही गया धा । अव म परलोक को मान्य करना हँ । भव मुम
अपके धमे-वचनो मे कुछ भी गका नही रही 1
राजा के ऐसे आस्तिकता पूर्ण वचन युन कर स्वयवुद्ध मन््त्री हपित हआ भौर कटने
छगा , --
“ महा राज । आपके वश मे पहले कुरुचन्द्र नाम का एक राजा हो गया है। उसके
कुरुमती नाम की रानी और हरिश्चन्द्र नाम का पुत्र था | कुरुचन्द्र राजा मद्भापापी, महा-
आरभी, महापरिग्रही, अनार्य, निर्दय, दुराचारी मौर भयकर था } उसने बहुत वर्षों तक
राज भोगा, कितु मरते समय धातु-विकृति के रोग से वह् नरक के ममान दरस भोगने लगा ।
उसे रुई के नरम गदेे आदि कांटोकीरय्या सेभी अत्ति तिक्ष्ण लगने लगे । सरन
भोजन बिलकुल निरस, कड्मा, सुगन्धित पदाथं दुगन्धरूप ओर स्व्री-ण् आदि स्वजन भी
शत्रु के समान लगने लगे । उसकी प्रकृति ही विपरीत ओर महा दु दायक हो गई थी ।
अन्त मे दाह्ज्वर से पीडित हौ कर रौद्र-ध्यानपूरवंक मृत्यु पा कर दुर्गति में गया ।'
कुरुचन्द्र की मृत्यु के बाद हरिइचन्द्र राजा हुआ | उसने अपने पिता के पाप का फल
प्रत्यक्ष देख लिया था । इसलिए वहु पाप से विमु हो कर धर्म के अभिमख हुआ । उसने
अपने सुबुद्धि नाम के श्रावक मित्र से कहा --“ मित्र ! तुम्हारा कत्तव्य ह कि तुम धर्मो
पदेशा सुन कर मेरे पास आओ ओर रोज मु सुनाया करो 1 इस प्रकार पाप से भयभीत
हुआ राजा धर्म के प्रति प्रीतिवान् हो कर धर्म सुनने लगा और उस पर श्रद्धा रखने लगा ।
कालान्तर मे नगर के बाहर उद्यान मे, शीलन्धर नाम के महा मुनि को केवलजान
उत्पन्न हुजा । देवंगण केवसज्ञानी महात्मा के पास जाने लगे । सुतुद्धि श्रावक, अपने লিঙ্গ
महाराज हरिख्चन्द्र को भी केवलज्ञानी भगवान् के पास के गया । धर्मोपदेश्च सून कर राजा
सतुष्ट हुमा । उसने केवली भगवान् से पूछा, ---
“ भगवन् । मेरा पिता मर कर किस गति मे गया ?
“ राजन् । सातवी नरक मे गया 1”
राजा विरक्त हुआ ओर पुत्र को राज्यभार सौप कर, सुबुद्धि श्रावक के साथ
भगवान् के पास भ्रत्नजित हुआ और चारित्र पाल कर सिद्ध-गति को प्राप्त हुआ ।
स्वयबुद्ध प्रधान आगे कहने लगा, -
“ महाराज । आपके वश मे एक “दंडक” नाम का
शासन प्रचण्ड था । शत्रुओं के लिए वह यमराज के समान था
का पुत्र था। वह सूं्ये के समान तेजस्वी था। दंडक राजा, स्त्री
राजा हुआ था। उसका
। उसके 'मणिमाली ` नाम
, पुत्र, स्वर्ण, रत्तं आदिमे
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