गृह - नक्षत्र | Grih Nakshatra

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Graha Nakshatra  by त्रिवेणीप्रसाद सिंह - Triveni Prasad Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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द प्रह-नछत्र कोई ग्रह अथवा नक्तत्र श्राता था, तब उसका लैकोदय समभका जाता था । किसी ग्रह श्रथवा गचित्र नच्तत्र के इस वृत्त पर श्राने का समय उस ग्रह झ्रथवा का लंकोदय काल कहां जाता था । चित्र-संख्या ३ में दर्शक प्रथ्वी के २५” दक्षिण श्रक्षांश के स्थान पर खड़ा है । | / नर हक वि | का. खगोल का विषुव-वलय, शिरोविन्दु के उत्तर से जाता है । चित्र-संख्या १ में “क' तथा




User Reviews

  • rakesh jain

    at 2020-12-09 10:39:02
    Rated : 8 out of 10 stars.
    this book is related to "Astronomy"
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