भजन संग्रह धर्मामृत | Bhajansangrah Dharmamrit

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Bhajansangrah Dharmamrit by बेचरदास -Bechardas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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डर और सिद्रान्ता मे वही भाग्तव्यपिनी स्कति की उच्च भावनाय दै । इस सम्रह के भजनों को पडित वेचरदासजी ने क्रिन अतिलिपियों से लिया है सो में नहीं जानता, किन्तु जो छपी पुस्तिवा मेरे सामने है उसमे शादों के प्रयोग में अश्ृद्धियाँ बहुत हूं। मुझे जान पड़ता है कि प्रतिलिपियाँ ठीक नहीं लिखी ययीं। यद्‌ सच है कि ज्ञानानन्द, विनयय्रिजय, यश्ञोविजय आदि क्विगण गुजराती ये और सम्भव है कि उनके झाज्दों के प्रयोग में हिस्दी- आप्रा-भापी कययों के प्रयोग से कहीं कहीं भिन्‍नता रही हो, किन्तु बहुत से शज्दों की लिसायठ से छद की चाल का इतना नाश हो जाता है कि मुझे ऐसा प्रतीत नहीं होता कि ये अशुद्विया बास्तव में कवियों की है । सुत्ने यद सम अद्धा प्रतिलिपिकासो की ही म्म हाती हे । स सग्रदसे भये हिन्दी के वु सत क्मिया का परिचय मिद्धा । मेरे. छिय इसे सम्रह सता विशेष मृय इसी दृष्टि से है। संग्रह मे पित वचर्ददासनी मे क्व-मदान्माजो कषा कुछ थोडा सा परिचय दिया हू \ इससे उसका मूल्य बढ जाता है, शन्तु कवियो फे सम्यन्ध मे जितनी जानकारी पड्तिजीने दी है उससे मेरा सततोप नदीं हुआ । मै तो चाहत ह्‌ कि पद्टितजी जब उन्हें समय मिले इन सब कवियों और उनक रचित प्रथा के सम्बन्धं मे खोज कर अधिर पना लगावे 1 हिन्दी ओर गुजराती के प्रायीन पारस्परिक सम्मन्व और उनक आधुनिक पिकास के आध्ययन वी दृष्टि सै इस प्रकर की खोजन नेप मह्य र्खेगी । जिग शैलो पर पडित वेचरदासनी ने इस सप्रह का सम्पादन क्या है. वह अद्भुत पाडित्यपूणे दे । हिन्दी में मैने




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