भम्मपद | Dhammapad

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Dhammapad by त्रिपिटिकाचार्य भिक्षु धर्मरक्षित - Tripitkachary Bhikshu Dharmrakshit

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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६ ५६2 १७-कोधकगो १७,१ रोहिणी को कथा कोच को छोडे ২৩২ জিন मिश्ठु की कया सच्चा আখের १७,३ उत्तरा की कषा अक्रोध से क्रोध को जोते १७,४ महामौदूगल्यायन स्यविर्‌ के दीन से स्वगं प्रक्ष की कथा १७,५ साकेस के बराह्मग को कया. भर्दिषर अच्युत पद को पाते दैं १७,६ पूर्ण की कथा चजायरण शीछ के भाधव नष्ट हो जाते हैं १७,७ अतुछ उपासक की कथा. छोह़ में अनिन्दित कोई नहीं १७५८ छार्यीय मिप्ठुओं की कथा. काम, वाणी, मन से संपत ददे १८-मख्रमो १८,१ भोधातह पुत्र को कथा अपने दिवि दोर चना १८२ किसी ब्राद्मग की कया अपने मछ को कमरा; दूर करे १८,३ ठिश्स स्थविर को कथा अपने ही कर्म से दुर्गंति ২65৪. छालुदायी स्थविर छी कया मैल क्या दै १८४५ ভিন সুজন কী কষা अशा परम सकद १८,६ साप्त स्यविर्‌ के शिष्य पापों सुखपूर्वक जीता दे को कया १८,७ বাঁ सौ इफसझों को कया पारी भरनो नह खोरता ड १८,८ तिस द्म को कथा कौन एडाप्ता प्र'्त करता है ? १८,६ पाँच हपासहई की कथा. राग के समान आय नहीं १८.१० দত श्रेष्टो को कथा दुरे च दष देखना ससान है १८,११ ভত্নানলকসী হবি आश्रव चदेव ह की कथा १८,१९२ सुमद परिक्राजऊ की कथा. बहदर में अमरण नहों दद्‌ १६० १६१ श्रे १६६ १६४ १६५ १६६ १६८ १६९ १७० १७१ १७२ কই হই ৯৩ १७५ তই १७३ १७७




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