तुम्हारी रोशनी में | Tumhari Roshni Mein

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Tumhari Roshni Mein by बाल गोविन्द मिश्र - Baal Govind Mishra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जिसने मन लगता है, कभी कुछ लिख-लिखाकर एक उन्नत किस्म की अनुभूति का सुख भी पा लेता हूँ । दो-चार दोस्त हैं, कितावों का साथ है जो कोई खालीपन महसूस नही होने देता । पलायन अगर है तो मेरा यह क्वारापन, मेरा अपना यह छोटा सिलसिला ही । बाहर कितनी झझ्तदें हैं 'मैं जानता हूँ, इसलिए अपनी दुनिया में खासा सन्तुष्ट, दुबका वैठा रहता हूं । कोई चीज आसानी से मुझे अपने इस घोंसले से बाहर नही निकाल पाती पर यह्‌ जो सामने है वहु, ठेसा लगता है यह एक अलग पक्ष दै उसे जानना चाहिए जानने की प्यास “बस ? नही, इसके अलावा भी बहुत कुछ ।*'“क्या ?*** यही नहीं मालूम''* বারী বনী में 115. *




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