समयसुन्दर - कृति - कुसुमान्जलि | Samay Sundar-kriti-kusumanjali
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
82 MB
कुल पष्ठ :
761
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
हजारीप्रसाद द्विवेदी (19 अगस्त 1907 - 19 मई 1979) हिन्दी निबन्धकार, आलोचक और उपन्यासकार थे। आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का जन्म श्रावण शुक्ल एकादशी संवत् 1964 तदनुसार 19 अगस्त 1907 ई० को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के 'आरत दुबे का छपरा', ओझवलिया नामक गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री अनमोल द्विवेदी और माता का नाम श्रीमती ज्योतिष्मती था। इनका परिवार ज्योतिष विद्या के लिए प्रसिद्ध था। इनके पिता पं॰ अनमोल द्विवेदी संस्कृत के प्रकांड पंडित थे। द्विवेदी जी के बचपन का नाम वैद्यनाथ द्विवेदी था।
द्विवेदी जी की प्रारंभिक शिक्षा गाँव के स्कूल में ही हुई। उन्होंने 1920 में वसरियापुर के मिडिल स्कूल स
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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उनको उस रूप में इस ग्रन्थ में नहीं रखा है। हमारा वर्गीकरण
छ विशेष प्रकार का होने से प्राप्त कई संकलनों का क्रम टूट गया
है। इस प्र पद छत्तीसी की खं० १६७० की लिखित प्रति देसाई
के संग्रद में है । अन्य प्रति बीकानेर के बड़े ज्ञान भंडार में है
२. तीर्थ भास छत्तीसी--इसमें तीर्थां सम्बन्धी छत्तीस गीतों
का संकल्लनन किया गया है। इसकी ११ पत्रों की अहमदाबाद में
सं० १७८० आधपषाढ वदि १ स्वयं को लिखित प्रति बंबई रॉयल ऐशि-
याटिक सोसाइटी से प्राप्त हुई है। अन्य प्रति हमारे संग्रद्द
में है ।
३, ग्स्ताव खबेया छत्तीसी-इसमें छत्तीस फुटकर स्वेयों
का संकल्लन है, जो समय समय पर रचे गये होंगे। इसकी स्वयं
ल्िखो प्रति हमारे संग्रह में हे ।
४. साधु गीत छत्तीसी--इसके अंतिम २ पत्रों बाली प्रति
हमारे संग्रह में है, जिसमें ३१ से ३६ तक के गीत व अन्त में ३६
गीतों की सूची है ।
४. सत्यासिया दुष्काल बरोन छत्तीसी --इसके फुटकर वर्णन
वाले छन्दों की कई प्रकार को प्रतियां मिली हैं। जिनसे मालूम
होता है कि समय ससय पर उन छन्हों की रचना फुटकर रूप
में हुई ओर अन्त में पूर्तिस्वरूप कुछ पद्म बनाकर यह छत्तीसी रूप
संकलन तैयार कर दियां गया
६, नेमिनाथ गीत छत्तीखी--इसकी रचयं लिखित प्रति के नो
पत्र हमारे संग्रह में है, इसका अन्त का एक पत्र नहीं मिलने से
३४ वे गीत की एक पक्ति के बाद शेष २ गीत अधूरे रह जते है |
७. वैराग्य गीत छत्तीसखी-दसमे चेरास्योत्पादक छत्तीस गौतों का
संकलन था, पर इसकी प्रति मी त्रुटित (पत्रां ५-१० षां, दो पत्र)
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