राष्ट्रपति राजेन्द्र बाबू | Rashtrapati Rajendra Babu
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
49
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रामरतन भटनागर - Ramratan Bhatnagar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१२ राष्ट्रपति राजेन्द्र बाबू
मौलवी साह कभी तत्त पर बैठते, कभी खाट पर । लड़के
ज़मीन में टाट बिछाकर बैठते | सबेरे आकर पहले का
पढ़ा हुआ सवक्र एक बार आमोख्ता करना पड़ता और जो
जितना जल्द आमोख्ता कर लेता उसको उतना ही जल्द
नया सबक पटा दिया जातां । फिर तीसरे पहर दूसरा
स॒चक्र मिलता श्रौर उसका कुछ हद तक याद करके सुनाने
के बाद घंटा-डेढ़-घंटा दिन रहते खेलने के लिए छुट्टी
मिलती । संध्या की फिर चिराग-बत्ती जलते किताब खोल-
कर पढ़ने के लिए बैठना पड़ता । दिन के दोनों मबक याद
करके फिर सुनाने पड़ते और तब हुक्म होता, किताब
बन्द करो |
पढ़ाई की मुसीबत सुनिये-“संध्या को जल्द नींद
आती । इससे हमेशा उर रहता म कहीं भुक्ते देखकर
मोलवी साहब मार न बेठं। जल्द छुट्टी के लिए दो
उपाय थे । खेल-कूद मे यमुना, भाई लीडर थे ओर जल्द
छुट्टी पाने का उपाय भी वही करते । पढ़ने के लिए तेल
देकर दिया जलाया जाता था। जप्मुुना भाई दिन को ही
कपड़े में राख या धूल बाँधकर छोटी-सी पोटली बनाकर
छिपाकर रख लेते । जिस दिन दिया में अधिक तेल देखने
में आता, चिराग़ की बत्ती उकसाने के बहाने, छिपाकर
पोटली दिया में रख देते । वह देखते-देखत तेल सोख लेती
User Reviews
No Reviews | Add Yours...