मृत्यु- रहस्य पूर्व- भाग | Mrutyu Rahasya Purv- Bhag

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : मृत्यु- रहस्य पूर्व- भाग  - Mrutyu Rahasya Purv- Bhag

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about श्री नारायण स्वामी - Shree Narayan Swami

Add Infomation AboutShree Narayan Swami

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
दर मृत्यु रहस्य खद्दाव निराधितों का आशय का झवलस्वत है दुनियां के बड़े २ वैद्य डाक्टर राजा. महाराजा सर साहकार प्रसन्न दोने पर केवल शारीरिक कल्याण का कारण बत सकते हैं परम्तु मानसिक से व्यधित नर नारी फ शात्ति का कारख तो वही पु है जो इस छृदय मन्दिर में विराजमान है और के लोगों की तरह उसका सम्बन्ध सनुप्यों से केवल शारीरिक नहीं किन्तु मानखिंक्र छोर ब्ात्मिक भी दीं नहीं हैं जो सर्भ में जीवों की रक्षा करता हैं घही हैं जो वहाँ कौर पंतगों तक की भी रक्ता करता हैं जहां की बुद्धि भी नहीं पहुंच सकती पक पदाइ़ का भाग सुरंग से उड़ाया जाता है पदाड़ के टुकड़े २ होज़ाते हैं एक टुकड़े के भीतर देखते हैं कि एक तुच्छू॒ कीट है जिसके वास कुछ दानें अन्न के भी एड हैं बुद्धि चकित होजाती है तक काम नहीं देता मन के संकल्प विकरप थक जाते हैं यह कैसा चमत्कार है दम स्वप्न तो नहीं देख़ रहें हैं ? भला इस कठोर हृदय पत्थर के भीतर यह कीट पहुंचा तो पहुंचा कैसे? उसको वहाँ यदद दाने मिले तो कैसे मिले ? कुछ समझ में नहीं झाता मनुष्य करे जब झन्तःकरणु थक जाते हैं और काम. नहीं करतें तो वद्द झाश्ययं के समुद्र में डुबफियाँ लेने लगता है शान्त में तक और बुद्धि का हथियार डाल कर मचुष्य सा हो जाता है । झनायास उसका हृदय धद्धा झौर प्रेम से पूरित हो गया ईश्वर की इस महिमा के सामने सिर झुक पड़ा और हृदेय से एक साथ निकल पड़ा कि म्रसु झाप विचित्र दो आप के कांय॑ थी विदित्र हैं




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now