महिला शिक्षासंग्रह | Mahila Shiksha Sangrah
श्रेणी : शिक्षा / Education
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.42 MB
कुल पष्ठ :
250
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about आचार्य परमानन्दन शास्त्री - Aachary Parmanandan Shastri
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दर सस्ती ग्रन्थ-माला
शो, 'फूहड़ हो, लड़ाका हो, कलिहारी हो, हानि-लाभका कुछ
ज्ञान न रखती हो, नफे-तुकस[नकों बिल्कुत न समझती हो,
अगेका कुछ भी विचार न रखने वाली हो, शपने मलोकी
चात न सुनना चाहती हो, निद्दी और हढीली हो, मान, माया,
_ लोग, कोषके वश होकर अपने आपको और दूसरोंको हुखी
'कनेवाली हो, तो फिर वह घर सुखका स्थान श्रौर आ्ानन्दका
“थाम बननेकी जगह महा विपत्तिका स्थान श्र संक्ोंका घाम
चन जायेगा, और उस घरों सदा रोग, शोक श्रौीर तरह-तरहके-
क्तोशॉका ही ढेए रहने लगेगा ।
ऐसी स्त्री पतिके घर आनेपर उसको प्रसन्न करनेकी जगह
“ उसके चित्तको शरीर भी ब्यादा हुखी करती हैं, हंसीं-खुशीकी
चाहें सुनाकर और उसकी चिन्ताओओंको शुलाकर इृदयकों श्रफु-
छ्लित करनेकी जगह सोच-फिक्रका ऐसा भारी पाठ उसकी
छातीपर रख देती है कि उसका दिखे टूट जाता है ओर वह
अपनी जिन्दगीसे भी बेजार हो जाता है। पतिने श्रमी घरें
श्रच्छी तरह कदम भी नहीं खा कि बह स्त्री चिल्लाना शुरू
कर देती 'है श्रीर ताने मार-मास्कर कहने लगती है किं किसी ,
दूसरेके भी जान है कि नहीं, जो कि दो परटेसे रसोई तैयार
करके भी बैठी-बेठी सूख रही हूँ, क्या घर काट खावेगा जो
यहाँ आते हुए भी डर लगता है, और खैर, अगर किसी दूसरेकी
'फिक्र नहीं है तो क्या श्रपने पेटकी भी फिक नहीं है जो रोटी
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