मदनरेषा - नमीराज नाटक | Madanaresha - Namiraj Natak
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
186
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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अबतो जाता हूं ख़ातिर तुम्हारी से,
' आज़ुर्दों तुमको करूं मादटे पारा नहीं ॥१॥
राजा. का जाते हुये नज़र झाना।
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पनिरथ का मदनरेषा के वियाग मं गाते हुये नज्ञर श्राना।
चाल-(नाटऊ) हाय अच्छे पिया सोहि द्रश ভিজা ইল भें जी
পল) चघबरावल हे ।
प्यारी तपत हृदय की गके बुझकादे,
आग विरह की जरावत है ॥
न कोड राता नज्ञर हाले जिगर किससे कहू ।
उमड़ के गाता है दिल केसे में ख़ामोश रहूँ।
ड रोते रोते लगे गश पे मृश आने मुझको ।
न तान इतनी रही सदमा जुदाई जो सहु ॥
अब कोई घड़ी का मेहमां है जममें,
जान चली अब जावत है ॥ १॥
प्यारी तपत दृदय की ० ॥
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