पञ्च प्रतिक्रमण सूत्र | Panch Pratikarman Sutra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
544
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बुद्धिभमा
जन डायजेस्ट
१० मार्च-एप्रिल १९६५, अंक ६४-६५
श्रीमद् बुद्धिसागरघरिजी
«८ चार प्रकारना मिथ्यात्वी देवो पण पूर्वैधर सुनि तेमज योगी
महात्माओना उपदेशथी समकिती वने छे, वावन वीर अने
चोसठ योगिनीओ पैकी कोइने जेन मुनिओ मंत्रथी प्रत्यक्ष बोध
आपीने जैन देव शुरु धर्मनी श्रद्धावाव्या करीने तेने जैन शासन
रक्षक तरीके स्थापी शके छे अने तेओ स्रधर्मी जैन बन्धघुओने
प्रसंगोपात यथाशक्ति मदद् करी शके छे.
तेम श्री घंटाकर्णं वीरने पण आपणा पूर्वाचार्थोओ मंत्री
आराधीने प्रत्यक्ष करी जन धर्मनो बोध आपीने समकिती वनाव्या
छे अने तेमने जैन प्रतिष्ठा विधि मन्त्रमां दाखल कयोी छे.
पूर्वकालीन या अर्वाचीन जैनाचार्योओ ओ रीते अनेक देवोने
जेनधर्मना रागी वनाव्या छे. तेधी जनों शासन देवने स्वधर्मी
वन्धुवत माने छे অন पूजे छे, तेमज संसारनी धर्म यात्रामां
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