गोविन्ददास ग्रन्थावली तीसरा खण्ड | Govindadas Granthavali Khand-3
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
408
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दूसरा दृश्य
स्थान : शूरसेन के मकान मं मोहन का कमरा
समय : तश्घ्या
[कमरा देहात के जमीदारों के दडे-बड़े সন্ধানী के सदश
रंगा हुआ है। मोहन और बलदेव का प्रवेश । मोहन लगभग
वाईस वषं का गोरा, ऊंचा, भरे हुए सुख श्रौर शरीर का प्रत्यन्त
सुन्दर युवक है। ढीली बॉह का कुरता और धोती पहने, नंगे सिर
है। बाल बड़े-बड़े हैं। छोटी-छोटी मूंछें हें। बलदेव लगभग बीस
वर्ष का गेहुंए रंग का कुछ सोटा ओर ठिगना साधारणतया सुन्दर
युवक है। कपड़े मोहन के सदश हैं, पर सिर पर दोपलिया टोपी
है। टोपी के चारों शोर बड़े-बड़े बाल लहरा रहे है । रेख निकल
रही है।]
मोहन : बाल्यावस्था का पूरा ध्यान तो नहीं है, बलदेव, फिर
भी, उस समय ऐसी दशा न थी। संसार के प्रत्येक
पदार्थ में एक प्रकार का सौन्दर्य दृष्टिगोचर होता
था। हर वस्तु में स्वाभाविक प्रेम का अनुभव होता
था । मुझे ही क्यों, तुम्हारी और कालिन्दी की भी तो
यही दशा थी तुम्हीं कहो, वह कंसा महान् सुख था
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