आनन्द मार्ग | Aanand Marg
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
897 KB
कुल पष्ठ :
35
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)12
शिव और तारक त्रह्म होने का दम भरता है दूसरी प्रोर वह प्रपनी कामुके
হভভাক্সী কা दमन न कर पाने के कारण चक्रवर्ती सम्राट बनते के जोरदार
प्रयत्न कर रहा है ) वह ऐसे मंसूबे बांध रहा है कि उसके सामने सारे तंत्र,
संसार की सम्पूर्ण कलाएं और साहित्य, समस्त संत महात्मा और महामानवों
की कीति फीकी पड जाय । वह हर जगह श्रपना पंजा जमाना चाहता है । उसकी
बराबरी कोई न कर सके । क्या इतिहास मे किती व्यक्तिने धमं के नाम पर
ऐसी योजना बनाने का पाप किया है । कोई श्रन्दाजा नहीं लगा सकता प्रभु
मिलन के नाम पर कितने खून किए जा रहे है ।”
नाटकों में भी ऐसा अभिनेता देखने को नही मिलता । धूतों मे भी उसकी
जोड़ का कोई व्यक्ति नही मिलता और ল निदंयता मं कोई उरुका मुकाबला
कर सयता है। यह तो सच है कि जब कोई व्यक्ति पाप करता है तो वह उसे
'पाप नहीं मानता । लेकिन भगवान की भूमिका में, धर्म के नाम पर सर्वशक्तिमान
के रूप में पाप करने वाला यह पहला व्यक्ति है । मेरे पुत्र उसके सम्मोहन के
'बवशीभूत होकर असत्व को सत्य, रात को दिन कहने को तैयार हो जाते हैं ।
प्रन्त मे सै ज्यादा सहन नही कर सकी और इस पाप का भंठा फोड़ कर दिया।
मैने उससे सब पाप स्वीकार कर लेते के लिए कहा लेकिन उसने चुप्पी साध
ली । तब एक रात मैने उससे स्पप्ट कह दिया कि में इस नरक भें नही रह रूकतों ।
मैं उससे दि छा कर् अपने एकमात्र बच्चे को लेकर चली आई । तभो
पे हम निराधश्ित और बिल्कुल असुरक्षित है । मे पता हैं कि जल्दी ही मैं शत्रु
चघोपित कर दी जाऊंगी और मेरे विरुद्ध हर प्रकार की गन्दगी उछाली जाएगी ।
इसे कारण उस रात उसने मेरे बारे मे कोई चिता नहीं को । उसने ऐलान कर
दिया कि हम शत्रु है। हम से मेरा मतलब है, मै श्ौर मेरा समर्थन करने वाले,
वे है--विशोखानन्द अवधूत, उसका वेवक्तिक सहायक सिद्धानन्द अबमूत,
शिक्षा सहायता और कल्याण विभाग का सचिव, जो प्रानन्द मागे का सब से बड़ा
विभाग है, सिरंदा भ्रवधूत, प्रकाशन सचिव और अ्रवधूतिका मेज्रेयी, महिला
कल्याण श्रतुभग की सचिव और उसका 12 वर्ष का एकलौता पुत्र 1”
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