रुसी लोक - कथाएँ | Rusi Lok Kathayen

Rusi Lok Kathayen  by मदनलाल 'मधु' - Madanlal 'Madhu'

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about मदनलाल 'मधु' - Madanlal 'Madhu'

Add Infomation AboutMadanlalMadhu'

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
दही . उसमें. डाल कर गूंध-गूंथ कर बना गोल-गोल गुलगुला घी में सेक-भून कर खस्ता और भुरभुरा। ठंडा करने के लिए खिड़की में धरा गया में नहीं हूं वेवकूफ़ वहां से में लुढ़क चला। बावा को नहीं मिला दादी .को नहीं मिला . ...न मिला खरगोश को भेड़िये को -न...मिला . कै रीछ को भी. न. मिला । डी _ श्री सुनो वीः लोमड़ी दी तुम को भी नहीं मिला और लोमडी बोली वाह कितना सुन्दर गीत वाह मुन्दर थते हं। पर बया करूं मुझे ठीक तरह सुनाई नहीं देना । य शरह क सना नाक पर चढ़ जाओ प्यारे सुनना सर जग हर दे दी हद शायद में पु मै पाऊं 1




User Reviews

  • gangas088

    at 2019-08-07 11:38:37
    Rated : 10 out of 10 stars.
    Mai bata nhi sakta Is kitab ki sari kahaniya mujhe behd pasand hai Aur maine sari kahaniya padi hai aur mijhe muhjwani puta book yad hai Supeeerrrrbbbbb
Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now