व्रत, पर्व और त्यौहार | Vrat Parva Aur Tyohar

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Vrat Parva Aur Tyohar by विभा गुप्ता - Vibha Gupta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दाक्षिणात्यों का वट साकित्री व्रत : जेठ शुक्ल त्रयोदशी को प्रदोष व्रत होता और इसी दिन से दाक्षिणात्यों का वट सावित्री व्रत आरम्भ हो जाता है। चंपक चवुर्देशी : इस ब्रत का बंगाल प्रदेश में बहुत अधिक महत्त्व है। वट सावित्री का ब्रत के यह दूसरे दिन होता है। इस दिन दान-पुण्य करना चाहिए। युता पुर्णिमा : जेठ के महीने की पूर्णिमा को युता पूर्णिमा कहा जाता है | इसी दिन . सन्त कबीरदास की जयन्ती मनाई जाती है । जल-यात्रा की जाती है, देवताओं को स्नान करवाया जाता है। आषाढ़ की प्रतिपदा : आषाढ़ मास बहुत ही पवित्र और पावन माना जाता है। यह जब आरम्भ होता है तो कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा होती है। इस दिन इच्छित भोजन बनाकर खाना चाहिए । प्रसन्न रहना चाहिए । वट सावित्री ब्रत का इस दिन पालन किया जाता है। इसी दिन गुरु-गोविन्द सिंह का जन्म-दिवस मनाया जाता है | इसी दिन सूर्य दक्षिणायन हो जाता है। कालाष्टमी : इस दिन दुर्गा की पूजा होती है । देवी का व्रत रखा जाता है| बासी . भोजन किया जाता है। आषाढ़ कृष्ण पक्ष की द्वादशी को योगिनी एकादशी मनाई जाती है। यह वैष्णवों का व्रत है। इस एकादशी का व्रत फलदायी होता है| दर्श अमावस्या : आषाढ़ की अमावस को पवित्न नदी में स्नान करना चाहिए। श्रद्धाचुसार दान और पुण्य करना चाहिए । इसे दर्श अमावस्या कहा जाता है। व्रत पर्व और त्यौहार _____............................ 17




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