व्रत, पर्व और त्यौहार | Vrat Parva Aur Tyohar
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10.25 MB
कुल पष्ठ :
151
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दाक्षिणात्यों का वट साकित्री व्रत :
जेठ शुक्ल त्रयोदशी को प्रदोष व्रत होता और इसी दिन से
दाक्षिणात्यों का वट सावित्री व्रत आरम्भ हो जाता है।
चंपक चवुर्देशी :
इस ब्रत का बंगाल प्रदेश में बहुत अधिक महत्त्व है। वट सावित्री
का ब्रत के यह दूसरे दिन होता है। इस दिन दान-पुण्य करना चाहिए।
युता पुर्णिमा :
जेठ के महीने की पूर्णिमा को युता पूर्णिमा कहा जाता है | इसी दिन .
सन्त कबीरदास की जयन्ती मनाई जाती है । जल-यात्रा की जाती है,
देवताओं को स्नान करवाया जाता है।
आषाढ़ की प्रतिपदा :
आषाढ़ मास बहुत ही पवित्र और पावन माना जाता है। यह जब
आरम्भ होता है तो कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा होती है। इस दिन इच्छित भोजन
बनाकर खाना चाहिए । प्रसन्न रहना चाहिए । वट सावित्री ब्रत का इस दिन
पालन किया जाता है। इसी दिन गुरु-गोविन्द सिंह का जन्म-दिवस
मनाया जाता है | इसी दिन सूर्य दक्षिणायन हो जाता है।
कालाष्टमी :
इस दिन दुर्गा की पूजा होती है । देवी का व्रत रखा जाता है| बासी
. भोजन किया जाता है। आषाढ़ कृष्ण पक्ष की द्वादशी को योगिनी एकादशी
मनाई जाती है। यह वैष्णवों का व्रत है। इस एकादशी का व्रत फलदायी
होता है|
दर्श अमावस्या :
आषाढ़ की अमावस को पवित्न नदी में स्नान करना चाहिए।
श्रद्धाचुसार दान और पुण्य करना चाहिए । इसे दर्श अमावस्या कहा जाता
है।
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