चुतुर्भुजदास | Chaturbhujadas
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
216
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१४
ससत्सग सदा आनन्द में रहत धरम भींजों हियो ।
हरि व भजन बड वतुरञुज्ञ' सौड देश तीरथ कियो ।
° गौड देवा सीय कियो * है स्पष्ट है कि, भामादाजजी की दि मे चुन
दास का क्रितता महत्व था । और उनके कारण गौड देश अर्थन् गौडवाना भक्तो
की दृष्टि में क्रितना ऊँचा छठ गया था 1
+ कुठ्ुमाकरजी ? का यद्द ऐेख कितना अमपूर्ण है, सुपष्ट प्रतीत दोता है ।
अष्टछाप के चतु सुजदाप के स्रमकालीन एक और चहुझुजदास श्रीविद्वकेत्ष
प्र्ुच्चण के शिष्य थे, जो मिश्र उपाधिघारी आह्वाण भोर चाइशाह अकबर के
सम्मानित पंडित और कवि थे । इनका चरित्र 'दोसोौ दावम वैध्यातं की
चार्चा ? में ( थे, २४९ ) दिया हुआ है ।
डा, दीनदयालु गुप ने क्षपले * शष्टछाप और वछभसमस्पदाय ' नामक
अन्य ( पत्र ३८४ ) में शक प्रति का परिचय देते हुए इल सम्बन्ध मीं
भद्दी भूल की है ) लिखा है ;---
४ अति मे, ७२/१ इस पोणी में चतुभुजदाम मिश्र गो, श्रीचिद्वलमावजी के
सेक्क दारा विरचित ‹ भाषा खंथह शान्त रख ” नामक अन्य है, जिसकी रचना
का हंवत् १७०२ वि. दिया हुआ है ( ये चतुभुजदास मिश्र अश्छाप के चतुर्ुजदाल
गौरव क्षन्निय से भिन्न हैं !!।
इस्त कथन में गो, श्रीविदुक्नगाथजी के शिष्य मिश्र चतुसुजदास की
सिव्रति से, १७०२ तक असंभवित है । औीगुर्साहनी का समय से, १५७२-
१६४२ निश्चित है! भवः यदह रचना मिश्र चतुशुजदात की न होकर किसी
अन्य चतुरसुजदास की होगी, ऐसा मेत्रा सत है |
वार्ताओों में सुधिदित चरित्र की कोर ध्यान ज देकर अनने छेखन का
यह क उदाहरण है | ऐसे लेखन कौर अध्ययन से हिन्दी धाहित्य में तथ्य
पर क्या अकाश पढ़ सकता है ?
कुअनद!य और डभके पुत्र चतुर्भुजदास সাল কী दी जज ॐ निकासी
रहे हैं। जंसा कि बातो में कहा गया हैं । वे तत्त छोड़कर कहीं अन्धन्न नहीं
गए) नागै श. समः मिश्च च, विनोद् भादि प्रायः किसीने इृधका विश्लेषण
नहीं किग्रा और জন্য শশুর के चरिश्र, अन्यनिर्माण शआादि को
नाम्रशम्य मे अश्छापी उतुसुलदास म सम्मिलित कर दिया हे ।
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