तक्षशिला काव्य | Takshashila Kavya

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : तक्षशिला काव्य  - Takshashila Kavya

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about उदयशंकर भट्ट - Udayshankar Bhatt

Add Infomation AboutUdayshankar Bhatt

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( ४६ ) के आधार पर नागवंश की उत्पत्ति हुईैं। तक्ष और नाग पर्यायवाची दब्द हे। तक्ष का नास ही तक्षक पड़ गया होगा। महाभारत में भी तक्षक एक राजा था, जिसने अर्जुन के पोत्र परीक्षित को काटा था । कदाचित्‌ काटने का आशय उसके घर में छिपकर परीक्षित को मारने का ही होगा। जिसका बदला परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने सर्पसत्र- हारा लिया। महाभारत के एक स्थान में ऐसा भी मालम होता है कि तक्षक का वर पाण्डवों के साथ पुराना था। जिस समय अर्जुन ने खाण्डव वन दाह किया, उस समय वहु वन तक्षक के अधिकार में था। अजुन ने अपने भुज-बल के दपं से तक्षक कोमार कर उस वन में नगर बनाने के लिए खाण्डव वन दाह ठीक समझा होगा। यही कारण है खाण्डव वन दाह का बदला तक्षक ने परीक्षित से लिया। यह॒तक्षक कदाचित्‌ भरत-पुत्र तक्ष का ही वंशधर होगा। तथा खाण्डव वन दाह के बाद वह अवसर की प्रतीक्षा में अर्जुन की दृष्टि से ओझल होकर पुरानी राजधानी तक्षशिला चला गया होगा। इस तरह वाल्मीकि रामायण ओर महाभारत सं तक्षशिला का इतिहास परस्पर सम्बद्ध होता हे । तदनन्तर जन-ग्रन्थो मं तक्षशिला का विस्तृत वर्णन हं । अवसायक निरुक्ति (हरिभद्र सुरिक्त) ग्रन्थ मं भगवान्‌ महावीर का पार्षदो के साथ गमन, त्रिषष्टिशलाका पुरुष चरित्र में बाहुवली का राज्य तथा भरत का युद्ध मिलता ह तथा विधि पक्ष, प्रभावक चरित्र, दहन रत्न रत्नाकर, हरि सोभाग्य, शत्रुञ्जय माहात्म्य आदि पुस्तकों मं तक्षशिला का विविध प्रसंगो मं वणेन हं । बोद्ध-ग्रन्थों में महावग्ग, दिव्यावदान कल्पलता, दीपवंश, धम्म पदात्थ कया, अवदान कल्पलता जातक आदि ग्रन्थों मं तक्षक्ञिला की कथाएं ॒हं । जो यथास्थान सहायकरूप से इस पुस्तक क्री आधार बनी हं।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now