किसान की बेटी | Kisan Ki Beti
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
296
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about बाबू गंगाप्रसाद गुप्त - Babu Gangaprasad Gupt
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अयोमय
प्रथम भाग। ९७ |.
विश्फूड के आने ओर उसकी झूठी सच्ची बातों से मिष्टर
जॉन उसकी सब बुराई भूल गए ओर उसके साथ बहुत अच्छा
घर्ताव किया ।
गत प्रकरण में हम शिख चके हैं कि मे विल्फ़िड को
छेकर अपने पिता की ओर चली । जब विल्फ़िड ओर मिष्ठर
जॉन से साक्षात हुआ तो मिष्रं जॉन उसको देखकर बहुत
प्रसन्न हुए ओर में से कहने छलगे-/ जर्दी जाओ आर वि-
ल्फ़िड के वास्ते टेबुल पर जलपान का सामान चुन दो। ?”
विल्फ़िड ० । नहीं नहीं, में यहोँ आप छोगों को कष्ट देने
नहीं आया हूँ। में भी सबके साथ भोजन करूँगा । অলী নী]
बगीचे ही की सेर करने की इच्छा होती है।
मिष्ठटर जॉन । जेसी तुम्हारी इच्छा हो, परतु हो, सच सच
बताओ नुम्हारे बारे में जो महा निन्दनीय बातें लोगों ने प्रसिद्ध
की थीं वे सच थीं या झूठ !
विल्फूड० । वह किम्बदन्ती एकदम वे-सिर पेर की
थी। लन्दन के छोग ऐसे दुष्ट हैं कि जिसपर चाहते हैं उसी
पर दोष छगा देते हैं ।
बेचारे मिष्टर जॉन सीधे सादे आदमी थे। वह विल्फ़िड
की बातों प्र विश्वास करके बहुत असन्न हए, ओर बोले-
८ धन्य परमेश्वर कि वे बातें अस्त्य निकी ! अव कदां
आज कह तुम्हें अपनी फुफेरी बहिनों से मिलने का अवसर
मिछा था कि नहीं | ”?
विश्फूड० । में उनसे बहुत कम मिछता हूँ, इस कारण
कि कनेछ बिलासिस आर बड्यूशम्प रुपया उधार मांगते हें,
1र किसी से छेकर फिर देने की इच्छा उनकी होती हो नहीं
३
User Reviews
No Reviews | Add Yours...