श्रीगयामाहात्म्यम | Shrigayamahatmayam

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Book Image : श्रीगयामाहात्म्यम  - Shrigayamahatmayam

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दितोयोईध्याय । शहद सान्निध्ये सर्वतीर्थानां गयातौध तती वर ॥ ५५ ॥ इति सीवायुपुराण शव तवाराचकल्पे गयामादात्मेप् पि्डदानफ़ल सथनें नाम प्रथमो ध्यायः ॥९॥ दितोयो5ध्याय । 0 वि नारद उवाच । गयासुरः कथस्ूतः किंप्रभावः किमात्मकः | तपस्तप्त क्थ तेन कथे टच पवित्रता 101 सनतृकुमार छवाच । विपशोर्नाथ्यम्वू जालनाती ब्रह्मा योकप्रिताम्द । -प्रजाः ससल संप्रोत्ताः पूव्वदेविन विद्युना ॥२॥ आसुरेयोव भावेन असुरानसजत्‌ पुरा । सोमनस्थेन भावेन दिवान्‌ समनसोध्टलत्‌॥ ३॥ व्योर कोई स्थान नहीं दिखाई देता इस स्थानमे सब तीर्ध विरालते हैं इसीसे गवाचेत्र सर्वतीयींसे झेखछ है । ५५ । इति घ्रघम व्यध्याय । नारद बोले गयासर कौन है उसका प्रभाव केखा है उसका शरीरक्की केसा है किस भांति उसने तपस्या कौ थी व्यौर किस भांति उसकी देद पविच हुई ? यक् सब कच्चिये 1१९1 संनतुकूमार बोले लोकके पितामछ ब्रह्माने विय्ुको नामिके कमलसे उत्पन्न होकर देवदेव्र वियुके व्यादेशसे प्रजाकी च्दछटि कौ । ९। उन्होंने पूव्वकोलमें करभावसे असुरोंकी व्यौर श




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