प्र्व्रक बोधकथाएँ | Prerak Bodh Kathaen

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Prerak Bodh Kathaen by महात्मा भगवानदीन - Mahatma Bhagwandin

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्री शान्तिलाल बड़जाते (संक्षिप्त-परिचय ) १५ भी अपने बालसखा मूलचन्दजी बडजाते के अनुरोध पर नागपुर चला गया। सभा में समाज के कतिपय, खास-खास लोगो का प्रतीकों के साथ महासभा द्वारा सम्मान किया जा रहा था। वहीं अचानक मेरा भी नाम पुकारा गया। न तो मैं महासभा का साधारण सदस्य ही था और न उसकी कतिपय नीतियों से मेरा मेल ही रहा। भाई शांतिलालजी ने ही मेरे विषय में अध्यक्ष श्री निर्मल कुमारजी सेठी से कुछ कहा होगा। तब स्व्यं सेठीजी ने खड़े होकर मेरा सम्मान किया। समाज मे लक्ष्मीपति तो अनेक है, उदार-हस्त से महत्त्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए दान भी खूब करते है, पर सहज उदार-हदय से समाजसेवा के लिए, साहित्य-सेवा के लिए सतत कलम धिसनेवालोँ के विचारों से मतभेद होने पर भी सहायता के लिए तत्पर जन विरल ही होते हैँ । इस माने में शांतिलालजी बडजाते निराले ओर स्वनामधन्य व्यक्ति माने जार्येगे। यही कारण है कि मेरे अनुरोध पर महात्मा भगवानदीनजी कौ ' सत्य ओर जीवन ' जैसी क्रान्तिकारी, स्वतंत्र विचारों द्वारा रूढ मान्यताओं पर वैज्ञानिक दूरबीन से यथार्थ प्रकाश डालनेवाली पुस्तक के प्रकाशन के लिए आर्थिक सहयोग की स्वीकृति दे दी और अब इन 'प्रेरक बोधकथाओं ' के प्रकाशन में भी अपना आर्थिक सहयोग प्रदान करके ज्ञान की आराध्य देवी सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त किया है । आशा है क्रांतिकारी विचारों की ये दोनों पोधियाँ समाज के सभी वर्गो के हाथों में पहुंच कर एक नया क्षितिज निर्माण करने में उपयोगी सिद्ध होंगी। - : सम्पर्क सूत्र :- सर शांतिलाल बड़जाते चेरिटेबल टृस्ट शांति निकेतन, 3- /2 धरमपेठ एक्सटेंशन नागपुर ( महाराष्ट्र ) 440 010 फोन 0712 - 2540911 ॥०0॥2 3286363 {89 0712 - 2550081 &-113॥ 080)809_917810)9। (0)




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