शैशव - स्वप्नम् | Shaishav - Swapnam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
134
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उषा की पहली किरण से
( १९ }
श्रो, पहली किरण छपा की !
सप्तार को फीका डाल कर छाये गाहे श्रन्धकार् को-
देख<देख कर,
व्यथं में तेरा चेहरा पीला पड़ गया !
मानियों का मार्ग रोकनेबाला, काले हृदय का---
हैं प्रन्धकार,
कैरी निगाहों के पड़ते ही स्वयं नष्द हो लेगा !!
अरी, किरण !
क्यों श्रपते श्रापक्रो निर्बल मान जठ हये?
बहु छोदा या व्ज-
पब॑तो की चोटियाँ काट फेंकता हे !
है মুছলি !
श्रौर तेरी पीठ के पीछे पीछे तो---
ग्रन्धकार के साम्राज्य का वरी,
समस्त तेजों का भण्डार वहु सूरज भी -
कदम बढ़ा कर चलता फिरता है :!
रीन |]
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