आधुनिक संसार | Aadhunik Sansaar

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Aadhunik Sansaar by कृष्णचन्द्र विद्यालंकार -Krishnachandra Vidyalankarवीर अर्जुन -Veer Arjun

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वीर अर्जुन -Veer Arjun

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ११ ) 'बज्ी रिस्तान के कवी लियों का मुख्य भाग रहा है । भारत के उत्तर सें चीन के सिनकियांग आदि प्रान्तों में भी रूस की. हलचलें कम नहीं रहीं । तिब्बत में भी रूस अपना भ्रमाव वदने -को सदा उत्सुक रहा है । यातायात के मार्ग हमारा यह संसार और उसके विविध देश पहले कभी चहुत “दूर दूर थे। आज विज्ञान की सहायता से यातायात के साधनों और मार्गो फे विकास के कारण एक दूसरे के बहुत निकट आगये हैं । यूरोप के विभिन्न देश तो परस्पर रलवे द्वारा मिले हुए हैं । छुछ और अमुख स्थल माग निम्नलिखित ইং | ग्रोट साइवेरियन रेलवे--इस की लम्बाई ५००० मील है। यह मारफो से प्रारंभ होकर प्रशान्तमहासागर के पश्चिमी तटवर्ती ब्लाडी- वास्टक तक जा पहुँचती है । इसी बढ़ी लाइन के एक स्टेशन चिता से शंघाई और हांगकांग तक भी रेलवे लाइनें हैं । मास्क्रो ,का पेरिस से भी रेलवे द्वारा सम्बन्ध है। इस तरह एक यात्री फ्रांस की राजघानी येरिस से रवाना होकर रेलवे मार्ग से सूदूरपूर्ववर्ती हांगकांग तक पहुँच सकता है । ' . ঈদতিত্বন पेसिफिक रेलवे--यह २००० मील लंबी रेलवे लाइन है। संसार में इतनी बढ़ी और कोट रेल -ग्यक्तियों फे दाथ मेँ नदं है। यह .लाइन अतलांतक और प्रशान्तमहासांगरों को परस्पर अमिलाती है । ৪ ই. > केप-काहिरा रेलवे--इस रेलवे योजना के पूर्ण हो जाने पर इसकी लम्बाई ६००० मील द्वोगी । यह केपंटाउन (एफ्रिका के दक्तिणी तट) से चलकर एफ्रिका मद्दाद्वी प के विविध देशों को मिलाती इई भिद की বসুন काहिरा तक पहुँचेगी.। .इसंके बहुत से भाग तैयार दो . . हे आप ও |




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