शाइरी के नये दौर | Shairi Ke Daur

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Shairi Ke Daur by लक्ष्मीचंद्र जैन - Lakshmichandra Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हिन्दोस्ताँ यह नज़्म १९५४ ३० में कही थी-- हिन्दुस्तान, हिन्दुस्तान, हिन्दुस्तान मेरा मान, मेरी आन, मेरी शान मेरा वल, मेरा कस, मेरा मन, मेरा दहन, मेरा ध्यान, मेरा ध्यान, मेरा सत, मेरा मत, मेरी ठे, मेरा गीत, मेरा गान, मेरा गान मैं क्रुबॉन, में क्रुबोन, में क्रबौन हिन्दुस्तान, हिन्दुस्तान, हिन्दुस्तान | यह गगन,यह जमन,यह समन ,यह चमन,यह बहार,यह बहार,यह बहार मोरकी सावनी यह पपीहे की पी, यह निखार, यह निखार,यह निखार हक उठाये हुए यह किसान हिन्दुस्तान, हिन्दुस्तान, हिन्दुस्तान मेरा आज, मेरा कछ, मेरा दुःख, मेरा सुख, मेरी जान, मेरी जान मेरा साज़, मेरा गीत, मेरी ताछ, मेरा सुर, হী বান, मेरी तान ऐ महान, ऐ महान, ऐ महान हिन्दुस्तान, हिन्दुस्तान, हिन्दुस्तान जव तरुक जख्की इक बृंद सागरम है जब तर्क इक सितारा भी चक्कर में है १. मुंख, २. चमेलीके फूल।




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