अशोक के धर्म लेख | Ashok Ke Dhamaralekha

Ashok Ke Dhamaralekha by जनार्दन भट्ट - Janardan Bhatt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१-अशोक का ऐतिहासिक वर्णन १-मगध देह प्राचीन मगध देश बिहार के दक्षिणी भाग में स्थित वर्तमान पटना और गया जिले को मिलाकर बना था । यहाँ बुद्ध के समय में बिम्बिसार नामक राजा राज्य करता था। बिम्बिसार का समय ईसा से पूर्व ५४६ से लेकर ४९४ तक माना जाता है और बुद्ध का समय एक प्राचीन लिखित प्रमाण के आधार पर ई० पू० ५६६ से लेकर ई० पू० ४८६ तक तथा एक किवदन्ती के अनुसार ई० पू० ६२४ से ई० पू० ५४४ तक माना गया ह । बिम्बिसार की राजधानी राजगृह थी, जिसको स्वयं उसने मगध राज्य की सबसे पुरानी राजधानी गिरित्रज के निकट, उसके बाहरी भाग मे, बसाया था । विहार के गया जिले मे आजकल का राजगिरि प्राचीन राजगृह के स्थान पर बसा हुआ हं । बुद्ध के समय में भारतवर्ष के भिन्न भिन्न भागों में अनेक ऐश्वर्यशाली प्रजातन्त्र द्वारा शासित तथा राजा द्वारा शासित राज्य थे। उनमें से केवल १६ ऐसे थे जो महाजनपद या महाराज्य कहे जाति थे । मगध उनमें से एक था। परन्तु बुद्ध के निर्वाण के पूर्व ही इन १६ बड़े राज्यों में से ४ राज्य ऐसे थे, जो अपने राज्य का विस्तार करने की नीति का अनुसरण करके और पड़ोसी राज्यों को दबाकर, सर्वश्रेष्ठ हो गये थे। मगध उनमें से एक था और बाकी तीन कोशल, वत्स और अवन्ती कं राज्य थे। इन तीन राज्यों की राजधानियां क्रम से श्रावस्ती (उत्तर प्रदेश के गोंडा और बहराइच जिलों की सीमा पर स्थित वर्तमान साहितमाहित ग्राम), कौशाम्बी (उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद के पास वर्तमान कोसम ग्राम) और उज्जयिनी (मध्यभारत के पश्चिमी मालवा में स्थित वर्तमान उज्जेन नगरी ) थीं । मगध राज्य बढते बढ़ते अन्त में एक महा साम्राज्य बन गया था, जिसमें प्राचीन भारत का अधिकतर भाग सम्मिलित था। उस साम्राज्य के बड़प्पन की नींव बिम्बिसार ही ने डाली थी । उसने पूर्वी बिहार के मुंगेर ओर भागलपुर जिलों में स्थित अंग राज्य को जीत कर अपने साम्राज्य में मिला लिया था। उसका पुत्र भौर उत्तराधिकारी अजातशात्रु (४९४-४६२ ई० पू०) न केवल वृजि नामक




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