हिंदुस्तान और ब्रिटेन का आर्थिक लेनदेन | Hindustaan Aur Britain Ka Arthik LenDen
श्रेणी : अर्थशास्त्र / Economics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
57
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about जे० सी० कुमारप्पा- J. C. Kumarappa
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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औस्ट भिण्डिया कम्पनी
धोंखका जमाना
वहुत शरूके जमानेमं अीस्ट भिण्डिया कम्पनीके आदमियोने भिस
देशमें खुली लूट मचाओ । प्लासीके वादके हालात वयान करते हुओ
मैंकाले कहता हैं,' “अब कम्पनी और आसके नौकरोंपर दौलतकी .खूब
वर्षा हुओ । मुशिदाबादसे कलकत्तेके फ़ोट विलियमको ८ लाख पौण्ड
की कीमतके হী सिक्के नावोंमें भरकर भेजे गये ओर जो कलकत्ता
कुछ ही महीनों पहले सुनसान पड़ा था, वह अब हरा भरा हो गया ।
हर अंग्रेज्ञ घरमें व्यापारके चमक जुटने ओर वैभवके निशान प्रगट होने
लगे । रही बात क्लाभिवकी सो असका कोओी दाथ पकंडनेवाला ही न
था । वह खुद ही संयम रखता तो दूसरी बात थी ।
भिस तरह “ साग्राज्यकी भिमारत खड़ी करनेवाले › क्लाभिवको
हिन्दुस्तानको छडनेका ओर यूरोपके কিউ रुपया जुटानेका हक़ मिल गया 17
तीन सार बाद फटकेका करां पेदा हो गयों और फिर चार बरस
डारआझीवकी कातनेकी मशीन निकल आओ। १७६८ वॉटने अपना भापका
झिजन बना दिया । १७७९ में क्रॉमटनने “ खच्चर ” मशीनका आविष्कार
केया और शक्तिसे चलनेवाले करधेका १७८५ में हक़॒पेटेण्ट हो
गया । यहींसे जिंग्लैण्डमें अद्योगकी क्रान्तिका और हिन्दुस्तानमें अुद्योगके
तनका आरम्भ हुआ । भिस तरह आविष्कारोंस लाभ अुटनेके लिओ
जीकी जो ज़रूरत हुओ वह हिन्दुस्तानकी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष छूटसे
[री की गओ ।
२“ शायद जबसे सृष्टि हुओ है, पूँजी लगानेके किसी काममें कभी
अतना मुनाफा नहीं हुआ जितना हिन्दुस्तानकी छूटसे हुआ, क्योंकि
१, असे ओन लड क्लाभिव, जिल्द ३ पृ, २४०
२. ब्रुव अडम्प, रखा ओफि सिविलाभिजेश्षन न्ड डिके ?, पृ. ३१७
© 2
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