जिल्दसाजी | Jildshaji
श्रेणी : स्वसहायता पुस्तक / Self-help book
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.55 MB
कुल पष्ठ :
186
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about सत्य जीवन वर्मा - Satya Jeevan Verma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दूसरा भ्रष्याय
के औज़ार
ज़ित्द-साजी किसे कहते हैं? श्राप ने बहुत सी
पुस्तकें, नोट चुक, रजिस्टर, लिखने की कांपियाँ
आदि देखी होंगी । उनमें कुछ ता ऐसी होंगी
जिनके पन्ने किसी तरह एक साथ नत्यी कर दिये गये
होंगे। कुछ ऐसी होंगी जिनके बक्क ऐसे सिले होंगे
जिनके खुलने में श्रासानी दोती है श्रीर जिनकी
रचा करते के लिए. बेदन स्वरूप उसपर दफ्ती का
मजबूत कवर चढ़ा होगा । इन दोनों प्रकार की
पुरतकों में एक को हम बिना जिल्दवाली कट्टेगे, दूसरी
का समिल्द। बास्तव में निल्ट्साज ही ने दोनों
प्रकार की पुस्तकें बनाई होगी। परन्तु जिल्दसाज़ी
के व्यापार के अन्तर्गत होते हुए भी पहली प्रकार कीं
पुस्तक को हम 'ज़िल्द' नहीं कहेंगे। पुस्तक
वही है जिसके पन्ने ऐसे सिले हों जो श्रासामी सं खुल
सकें शरीर जिसकी रक्ता के लिए मज़बूत
बेठन उस पर चढ़ाया गया हो। सजिल्द पुस्तक से
जिल्द-साज़ को हमेशा ऐसी पुस्तक का ध्यान हो
'आता दे लिसका बेठन चमड़े का हो।
User Reviews
rakesh jain
at 2020-12-09 11:00:23