चाँद पर चलो | Chand Per Chalo
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
138
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मिनट में पृथ्वी को एक परिक्रमा करवाकर सकुशल धरती पर उतार लिया
गया। इससे अंतरिक्ष में समानव उड़ानों का एक नया द्वार खुल गया।
6 अगस्त, 1961 को 'वोस्तोक-2 में हर्मम तितोफ उड़े तथा पृथ्वी की
17 परिक्रमाएँ करने के बाद धरती पर लोट आए। 11 अगस्त, 1962 को
'वोस्तोक-3' में आद्रियान निकोलाएफ तथा 12 अगस्त, 1962 को “वोस्तोक-4
में पावेल पोपोविच ने क्रमशः प्रथ्वी की 64 तथा 48 परिक्रमाएँ कीं। इस जुड़वाँ
उड़ान की मुख्य बात यह थी कि “वोस्तोक-4' को 'वोस्तोक-3* की ही कक्षा
में पहुँचा दिया गया। इसका नतीजा यह हुआ कि दोनों के बीच केवल 4 मील
की ही दूरी रह गई। इससे एक साथ दो अंतरिक्ष यानों के अंतरिक्ष में उड़ने का
मार्ग खुल गया।
14 जून, 1963 को 'वोस्तोक-5' में वालेरी बिकोवस्की तथा 16 जून,
1963 को “वोस्तोक-6 ' में वालेंतीना तेरेश्कोवा को अंतरिक्ष में भेजा गया-।
उन्होंने पृथ्वी की क्रमशः 81 तथा 48 परिक्रमाएँ कीं। वालेंतीना तेरेश्कोवा
संसार की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री बन गई।
“'बवरखोद'
12 अक्टूबर, 1964 को रूस ने एक नया अंतरिक्षयान 'वरखोद-1
उड़ाया, जिसमें तीन यात्री-ब्लादीमीर कोमारोफ, कांसान्तिन फियोक्तिस्तोफ व
बेरिस येगोरोफ थे। पृथ्वी की 16 परिक्रमाएँ पूरी कर यह यान सही सलामत
धरती पर लौट आया। 18 मार्च, 1965 को 'वरखोद-2' में दो यात्री अलेक्सेई
लिओनोफ तथा पावेल बेल्यायेफ को भेजा गया। इस यान की दूसरी परिक्रमा
के समय लिओनोफ ने यान से बाहर निकलकर लगभग 12 मिनट तक
पहली बार शून्य अंतरिक्ष में विचरण किया।
¢ सोयूज है
23 अप्रैल, 1967 को एक नए “सोयूज-1' यान में ब्लादीमीर कोमागेफ
अंतरिक्ष में गए तथा 24 घण्टे तक पृथ्वी की परिक्रमा तथा विभिन्न वैज्ञानिक
परीक्षण कर धरती पर लौटते समय अचानक दुर्भाग्यवश मृत्यु के शिकार हो गए।
इस दुर्घटना से सोवियत अंतरिक्ष कार्यक्रम को धक्का लगा। लगभग
20 माह तक कोई भी यान नहीं भेजा गया यद्यपि इस दिशा में तैयारियाँ पूरी
12 छ चाँद पर चलो
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