हिंदी साहित्य पिछला दशक | Hindii Saahity Pichhalaa Dashak

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Hindii Saahity Pichhalaa Dashak by प्रतापनारायण टंडन - Pratapnarayan Tandan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हिन्दी-साहित्य में पिछले दस-पंद्रह वर्षों में जो कविता लिखी गयी है, उसे प्रायः नयी कविता के अंतर्गत ही रखा-समझा जाता है, यद्यत्रि यह ध्यान देने की बात है कि उसमें नयी या प्रयोगवादी कविता से अलग भी बहुत कछ हैं । हिन्दी कविता की नवीनतम प्रवृत्तियों को देखने से यह पता चलता हैँ कि उसमें अब भी मुख्य रूप से छायावादी, प्रगतिवादी और प्रयोगवादी कविताओं की ही प्रमुखता है, यद्यपि अब ऐसी भी आवाज उठायी जाने लगी है कि इन विभिन्न वादों की सृजनात्मक संभावनायें विवादास्पद हैं हाँ, यह्‌ अवद्य कहा जा सक्ता ह कि उपर्युक्त प्रवृत्तियों मे से कोई अब समाप्त हो चुकी हू ओर अब उसके अवशेष मात्र ही मिलते हैं और कोई अपने नित्य नये बदलते हुये रूपों को लेकर बराबर सामने आती रही है। कहने का मतलब यह है कि एक दृष्टि से देखने पर सारी हिन्दी कविता अपने में एक विचित्र नयापन लिये हुये, अपने से पहले की काव्य-परंपराओं से विद्रोह-सी करती जान पड़ती है, तो दूसरी दृष्टि से देखने पर वह उन्हीं को आगे बढ़ाती या उनकी बराबर चलती साँसों का प्रमाण देती नज़र आती हैँ। अतः हमारे विचार से, उपयुक्त काव्य- धाराओं की वतेंमान प्रवृत्तियों का पूर्णो अध्ययन करने के लिये यह आवश्यक हैँ कि उन परंपराओं की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुये उनके महत्व को समझने की चेष्टा की जाय ।




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